Apollo 11 Spacecraft News: नासा के लिए 20 जुलाई 1969 का दिन ऐतिहासिक था, जब नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन ने चांद पर कदम रखा था। अपोलो 11 अंतरिक्ष यान ने सफलता से अपना मिशन पूरा किया था। लेकिन आपको एक चौंकाने वाली बात बता रहे हैं। अगर ये मिशन फेल हो जाता, अगर चंद्रमा पर नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन नहीं उतर पाते तो क्या होता? इसको लेकर एक खास प्लान बनाया गया था। चंद्रमा पर पहुंचना तो सिर्फ मिशन का एक हिस्सा था। चंद्रमा पर पहुंचना, यान की सुरक्षा और अंतरिक्ष यात्री कैसे सकुशल लौटेंगे? इसको लेकर भी तैयारियां की गई थीं।
ये भी पढ़ें: 17 साल की उम्र में चुराई साइकिल, 17 साल बाद भी सलाखों के पीछे शख्स
क्योंकि यह पहला ऐसा मिशन था, जिसका परिणाम कुछ भी हो सकता था? एक रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने एक आकस्मिक भाषण भी तैयार कर लिया था। माना जाता है कि अगर त्रासदी होती तो राष्ट्र को बताने के लिए पहले ही तैयारी कर ली गई थी। नील आर्मस्ट्रांग, माइकल कोलिंस और एडविन बज एल्ड्रिन सबसे पहले चांद पर पहुंचे थे। लेकिन उनकी घर वापसी को लेकर अनिश्चितता थी। उनके यान में ऐसी तकनीकी दिक्कतें आ गई थीं, जिससे लग रहा था कि वापस नहीं लौट पाएंगे।
On this day in 1969, Apollo 11 astronauts Neil Armstrong and Buzz Aldrin made history by walking on the Moon. As a university founded in 1958 to educate the pioneers of the U.S. space program, we remain forever inspired by this monumental achievement. pic.twitter.com/qjqL2jSTVM
---विज्ञापन---— Florida Tech (@FloridaTech) July 20, 2024
अगर दोनों की मौत हो जाती तो…
अपोलो 8 मिशन के एक अंतरिक्ष यात्री ने वरिष्ठ स्पीच राइटर विलियम सफायर को आपदा की आशंका में तैयार रहने को कहा था। अपोलो 11 के प्रक्षेपण से कुछ सप्ताह पहले तकनीकी दिक्कतों का पता लग गया था। पूर्व नासा के मुख्य इतिहासकार रोजर लॉनियस बताते हैं कि नील और बज को चंद्रमा की सतह पर चलना था। कोलिंस के पास कमांड मॉड्यूल में चंद्रमा की परिक्रमा का जिम्मा था। उनकी वापसी की संभावना था। लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति दोनों के लिए चिंतित थे। अगर विस्फोट में किसी की जान जाती है तो इसे आम माना जाता है। वहीं, ऑक्सीजन की कमी से एकदम जान नहीं जाती। चांद पर अगर हादसा होता तो कोई विकल्प भी नहीं था। इसलिए तत्कालीन राष्ट्रपति के लिए भाषण तैयार कर लिया गया था। जिसका शीर्षक था ‘चंद्रमा आपदा की स्थिति में।’
कोई हादसा नहीं हुआ, सभी सुरक्षित लौटे
अगर दोनों की मौत होती तो भाषण के अनुसार कहा जाता कि भाग्य में यही लिखा था। दोनों अब पूरी जिंदगी शांति के साथ चांद पर गुजारेंगे। दोनों बहादुर लोगों का बलिदान मानव जाति के लिए आशा की किरण है। अमेरिका के लोग बहादुर हैं, जो हाड़ और मांस से बने अपने दोनों नायकों को चांद और सितारों से कम नहीं समझते। अब नील और बज के ठीक होने की उम्मीद नहीं है। अब दोनों ब्रह्मांड का हिस्सा बन गए हैं। इसके बाद राष्ट्रपति को दोनों की पत्नियों से फोन पर बात करनी थी। जिसके बाद संचार के सभी साधन काट दिए जाते। एक पादरी को दोनों को सिंबोलिक रूप से दफनाने का जिम्मा दिया गया था। लेकिन सभी अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित लौट आए थे।