अंतरिक्ष में रहना कोई आसान बात नहीं है। क्या आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में पीने के लिए पानी भी नहीं होता? ऐसे में एस्ट्रोनॉट्स के लिए वहां कई महीनों तक रहना बहुत मुश्किल होता है। सुनीता विलियम्स भी 9 महीने स्पेस सेंटर में काट कर 19 मार्च 2025 को धरती पर वापस लौट आई हैं। भारत की बेटी की धरती पर वापसी से पूरी दुनिया में जश्न का माहौल है। लेकिन क्या आपने सोचा कि अगर पानी ही नहीं था तो सुनीता विलियम्स और उनके साथी ने स्पेस में 9 महीने कैसे बिताए? जबकि ये कहा जाता है कि बिन पानी जीवन संभव ही नहीं है। चलिए जानते हैं कि कैसे बिन पानी सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर ने अंतरिक्ष में 286 दिन बिताए।
अंतरिक्ष में पानी नहीं होता
ये तो हमने हमेशा सुना है कि बिन पानी जीवन संभव ही नहीं है। लेकिन अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्री परीक्षण के लिए जाते हैं तो वो क्या पीते हैं। हालांकि शुरुआत में तो थोड़ा पानी साथ में ले जाया जाता है, लेकिन समय बीतने के बाद धरती से पानी नहीं पहुंचाया जाता। ऐसे में अंतरिक्ष में ही एक सिस्टम सेट किया गया है जिससे पेशाब को रिसाइकल कर पीने योग्य पानी में तब्दील कर दिया जाता है।
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स्पेस में पानी के लिए कौन सा सिस्टम लगा हुआ है
कम ही लोगों को पता होगा कि अंतरिक्ष में ‘एनवायर्नमेंटल कंट्रोल एंड लाइफ सपोर्ट सिस्टम (ECLSS) नाम की एक खास तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इस सिस्टम की मदद से यूज किए हुए पानी को दोबारा पीने योग्य बनाया जाता है। इसके अलावा पेशाब और पसीने को भी रिसाइकल कर पीने के पानी में बदल दिया जाता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि सुनीता विलियम्स ने बिन पानी अंतरिक्ष में कैसे बिताए 9 महीने।
अंतरिक्ष में पानी भेजना बहुत महंगा
पानी के बिना किसी का भी जीना संभव नहीं है। धरती से अंतरिक्ष में पानी भेजना बहुत ही महंगा पड़ता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, धरती से एक गैलन पानी को अंतरिक्ष में भेजने के लिए करीब 83,000 डॉलर खर्च होते हैं। ऐसे में हर दिन 10 से 12 गैलन पानी का इस्तेमाल अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा किया जाता है, ऐसे में इतना महंगा पानी रोजाना भेजना संभव ही नहीं है। यही वजह है कि स्पेस में खास तरह का फिल्टर सेटअप लगाया गया है जिसमें वैज्ञानिक अपना पेशाब ही फिल्टर कर उसे पानी के रूप में पीते हैं।
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