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पोप फ्रांसिस का निधन, 88 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है। इटली में वेटिकन सिटी में उन्होंने 88 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। वेटिकन सिटी की ओर से बयान जारी करके उनके निधन की खबर दी गई।

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Apr 21, 2025 14:12
Pope Francis

कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है। इटली में वेटिकन सिटी में उन्होंने 88 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। वेटिकन सिटी की ओर से बयान जारी करके कार्डिनल केविन फेरेल ने उनके निधन के बारे में बताया। पोप के निधन के चलते वेटिकन सिटी में 9 दिन के शोक की घोषणा की गई है।

वहीं अपने धर्मगुरु के निधन की खबर सुनकर 1.4 अरब कैथोलिक शोक में डूब गए हैं। पोप ने स्थानीय समयानुसार सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर आखिरी सांस ली। शोक मनाने की अवधि पूरी होने के बाद पोप फ्रांसिस को St. Basilica में दफनाया जाएगा। प्रार्थना सभा का आयोजन St Peter’s Square में होगा।

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कैथलिक चर्च के हेडक्वॉर्टर वेटिकन के अनुसार, 88 साल के पोप फ्रांसिस 14 फरवरी को डबल निमोनिया होने पर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हुए थे। उन्हें निमोनिया होने के साथ-साथ फेफड़ों का संक्रमण भी हुआ था। पोप फ्रांसिस को सांस की नली में पॉलीमाइक्रोबियल इन्फेक्शन हुआ था। वे 5 हफ्तों तक अस्पताल में भर्ती रहे।

उनके ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट आई थी तो उसमें किडनी फेल होने के लक्षण थे। प्लेटलेट्स भी कम थीं। उन्हें ब्रोंकाइटिस डिजीज हुआ था। ईस्टर के मौके पर रविवार 20 अप्रैल को उन्होंने अपना आखिरी संदेश दिया था।

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ईस्टर पर दिया था आखिरी संदेश

बता दें कि पोप फ्रांसिस रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी मूल के पोप थे। कैथोलिक क्रिस्चियन्स की मौजूदगी में वे साल 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने थे। वे पोप बेनेडिक्ट 16वें के उत्तराधिकारी थे। अर्जेंटीना से ताल्लुक रखने वाले पोप को दुनियाभर में जहां युद्ध चल रहे, उनके विरोध के लिए जाना जाता था।  पोप फ्रांसिस पिछले 1000 साल में कैथोलिक धर्मगुरु बनने वाले पहले गैर-यूरोपीय पादरी थे।

पोप 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के फ्लोरेंस शहर में जन्मे थे। उनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था। पोप फ्रांसिस के दादा-दादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी से अपनी जान बचाने के लिए इटली छोड़कर अर्जेंटीना चले गए थे। अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में  पोप का बचपन बीता। वे सोसाइटी ऑफ जीसस (जेसुइट्स) के सदस्य बनने वाले पहले पोप थे। वे अमेरिकी महाद्वीप से आने वाले पहले पोप थे।

उन्होंने ब्यूनस आयर्स यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र और धर्मशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन की थी। पोप 33 साल की उम्र में 13 दिसंबर 1969 को ब्यूनस आयर्स में पहली बार पादरी बने थे। 1998 में ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने थे। 1998 में ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने थे। 2001 में पोप जॉन पॉल सेकेंड ने उन्हें कार्डिनल बनाया था। पादरी बनने से पहले पोप नाइट क्लब में बाउंसर थे। उन्होंने बतौर केमिस्ट टेक्नीनिशयन भी काम किया। अर्जेंटीना के कॉलेज में लिटरेचर और साइकोलॉजी भी पढ़ाया। पोप रहते हुए उन्होंने दुनियाभर के 60 से ज्यादा देशों की यात्रा की थी।

 

 

First published on: Apr 21, 2025 01:36 PM

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