मिस्र के आर्कियोलॉजिस्ट ने एक रहस्यमयी मकबरे की खोज की है जो शायद एक महान योद्धा या सैन्य कमांडर का हो सकता है। यह सिर्फ ईंटों और पत्थरों का ढांचा नहीं बल्कि इतिहास के पन्नों में छिपी एक भूली-बिसरी दास्तान है। इस मकबरे में रामेसेस III से जुड़े सबूत मिले हैं जो इसे और भी रोमांचक बनाते हैं। क्या यह मकबरा हमें अतीत की नई परतें खोलकर मिस्र के गौरवशाली इतिहास से रूबरू कराएगा?
प्राचीन मिस्र में एक और ऐतिहासिक खोज
मिस्र के आर्कियोलॉजिस्ट ने 3,200 साल पुराने एक प्राचीन मकबरे की खोज की है जो एक सैन्य कमांडर का हो सकता है। यह मकबरा उत्तर-पूर्वी मिस्र के टेल एल-मासचुता नामक स्थान पर पाया गया है। मिस्र के पर्यटन और पुरावशेष मंत्रालय (Ministry of Antiquities) ने इस खोज की पुष्टि की है। यह मकबरा मिट्टी की ईंटों से बना है और इसमें एक बड़ा कमरा है जहां शव रखा गया था। इसके अलावा तीन और छोटे कमरे भी हैं। मकबरे के अंदर से कई कीमती चीजें मिली हैं जिनमें सबसे खास एक सोने की अंगूठी है जिस पर राजा रामेसेस III का नाम लिखा हुआ है। इसके अलावा कांसे के तीरों की नोक, हाथी दांत से बना एक डिब्बा और कुछ मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं जिन पर खास निशान बने हुए हैं।
#Egypt unearths 3,000 year-old tomb with sarcophagus dedicated to Horus, GOD of the sky
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मकबरे के पुनः उपयोग के संकेत
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मकबरा रामेसेस III के समय (1184-1153 ईसा पूर्व) में इस्तेमाल किया गया होगा। लेकिन यहां से मिले कुछ मिट्टी के बर्तनों पर होरेमहेब (1323-1295 ईसा पूर्व) नाम के फिरौन (मिस्र के राजा) का नाम लिखा हुआ है। होरेमहेब राजा बनने से पहले एक सैनिक अधिकारी थे। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह मकबरा पहले किसी और के लिए बनाया गया था लेकिन बाद में इसे दोबारा इस्तेमाल किया गया। यह भी हो सकता है कि होरेमहेब के समय की चीजें बाद में यहां दफन व्यक्ति के साथ रखी गई हों।
Tomb of Ramses IV in the Valley of the Kings, more than 3000 years old, Luxor, Egypt. #Archaeology
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— ancientpix 🏛️ (@ancientpix) March 15, 2020
विशेषज्ञों की राय और अध्ययन की जरूरत
पुरातत्वविदों का कहना है कि इस मकबरे से जुड़े कई रहस्य अब भी सुलझने बाकी हैं। ऑकलैंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एंथनी स्पालिंगर का कहना है कि मकबरे में मिली चीजों पर लिखी गई बातें ध्यान से पढ़नी होंगी ताकि यह पता चले कि यहां दफन व्यक्ति वास्तव में कौन था। चीन की नॉर्थईस्ट नॉर्मल यूनिवर्सिटी के मिस्रविद् डेविड वारबर्टन का कहना है कि जब तक हमें शिलालेखों में इस व्यक्ति की सही पहचान नहीं मिलती तब तक यह तय करना मुश्किल होगा कि वह सैन्य कमांडर था या नहीं।
इतिहास की नई परतें खुलने की उम्मीद
ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के मिस्रविद् ऐडन डॉडसन का मानना है कि यह मकबरा पहले होरेमहेब के शासनकाल में बनाया गया था लेकिन बाद में रामेसेस III और बाइसवें राजवंश के समय फिर से इस्तेमाल किया गया। यह खोज मिस्र के इतिहास को समझने में बहुत मदद कर सकती है। आर्कियोलॉजिस्ट को उम्मीद है कि इस मकबरे के अध्ययन से प्राचीन मिस्र के बारे में नई जानकारियां मिलेंगी। अब सबकी नजर इस पर है कि आगे इस मकबरे से और कौन-कौन से रहस्य सामने आते हैं।