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मिस्र में मिला 3200 साल पुराना रहस्यमयी मकबरा, क्या इतिहास का खुलेगा कोई नया राज?

मिस्र में 3,200 साल पुराना एक रहस्यमयी मकबरा मिला है जिसमें Ramesses III से जुड़े सबूत पाए गए हैं। क्या यह किसी महान योद्धा की कब्र है? यह खोज इतिहास के नए राज खोल सकती है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: Mar 29, 2025 18:00
3200 Year Old Tomb Discovered in Egypt
3200 Year Old Tomb Discovered in Egypt

मिस्र के आर्कियोलॉजिस्ट ने एक रहस्यमयी मकबरे की खोज की है जो शायद एक महान योद्धा या सैन्य कमांडर का हो सकता है। यह सिर्फ ईंटों और पत्थरों का ढांचा नहीं बल्कि इतिहास के पन्नों में छिपी एक भूली-बिसरी दास्तान है। इस मकबरे में रामेसेस III से जुड़े सबूत मिले हैं जो इसे और भी रोमांचक बनाते हैं। क्या यह मकबरा हमें अतीत की नई परतें खोलकर मिस्र के गौरवशाली इतिहास से रूबरू कराएगा?

प्राचीन मिस्र में एक और ऐतिहासिक खोज

मिस्र के आर्कियोलॉजिस्ट ने 3,200 साल पुराने एक प्राचीन मकबरे की खोज की है जो एक सैन्य कमांडर का हो सकता है। यह मकबरा उत्तर-पूर्वी मिस्र के टेल एल-मासचुता नामक स्थान पर पाया गया है। मिस्र के पर्यटन और पुरावशेष मंत्रालय (Ministry of Antiquities) ने इस खोज की पुष्टि की है। यह मकबरा मिट्टी की ईंटों से बना है और इसमें एक बड़ा कमरा है जहां शव रखा गया था। इसके अलावा तीन और छोटे कमरे भी हैं। मकबरे के अंदर से कई कीमती चीजें मिली हैं जिनमें सबसे खास एक सोने की अंगूठी है जिस पर राजा रामेसेस III का नाम लिखा हुआ है। इसके अलावा कांसे के तीरों की नोक, हाथी दांत से बना एक डिब्बा और कुछ मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं जिन पर खास निशान बने हुए हैं।

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मकबरे के पुनः उपयोग के संकेत

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मकबरा रामेसेस III के समय (1184-1153 ईसा पूर्व) में इस्तेमाल किया गया होगा। लेकिन यहां से मिले कुछ मिट्टी के बर्तनों पर होरेमहेब (1323-1295 ईसा पूर्व) नाम के फिरौन (मिस्र के राजा) का नाम लिखा हुआ है। होरेमहेब राजा बनने से पहले एक सैनिक अधिकारी थे। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह मकबरा पहले किसी और के लिए बनाया गया था लेकिन बाद में इसे दोबारा इस्तेमाल किया गया। यह भी हो सकता है कि होरेमहेब के समय की चीजें बाद में यहां दफन व्यक्ति के साथ रखी गई हों।

विशेषज्ञों की राय और अध्ययन की जरूरत

पुरातत्वविदों का कहना है कि इस मकबरे से जुड़े कई रहस्य अब भी सुलझने बाकी हैं। ऑकलैंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एंथनी स्पालिंगर का कहना है कि मकबरे में मिली चीजों पर लिखी गई बातें ध्यान से पढ़नी होंगी ताकि यह पता चले कि यहां दफन व्यक्ति वास्तव में कौन था। चीन की नॉर्थईस्ट नॉर्मल यूनिवर्सिटी के मिस्रविद् डेविड वारबर्टन का कहना है कि जब तक हमें शिलालेखों में इस व्यक्ति की सही पहचान नहीं मिलती तब तक यह तय करना मुश्किल होगा कि वह सैन्य कमांडर था या नहीं।

इतिहास की नई परतें खुलने की उम्मीद

ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के मिस्रविद् ऐडन डॉडसन का मानना है कि यह मकबरा पहले होरेमहेब के शासनकाल में बनाया गया था लेकिन बाद में रामेसेस III और बाइसवें राजवंश के समय फिर से इस्तेमाल किया गया। यह खोज मिस्र के इतिहास को समझने में बहुत मदद कर सकती है। आर्कियोलॉजिस्ट को उम्मीद है कि इस मकबरे के अध्ययन से प्राचीन मिस्र के बारे में नई जानकारियां मिलेंगी। अब सबकी नजर इस पर है कि आगे इस मकबरे से और कौन-कौन से रहस्य सामने आते हैं।

HISTORY

Edited By

Ashutosh Ojha

First published on: Mar 29, 2025 06:00 PM

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