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RSS के मुखपत्र में दिखा भाजपा को लेकर गुस्सा! वीडियो में देखिए Organiser में क्या लिखा गया

RSS And BJP: पिछले 10 साल में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने विपक्ष की ओर से कई हमलों का सामना किया है। लेकिन हाल ही में लोकसभा चुनाव के परिणामों ने भगवा दल के लिए समस्या का एक और मोर्चा खड़ा कर दिया है। एक दिन पहले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत […]

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Jun 11, 2024 22:28
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RSS And BJP: पिछले 10 साल में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने विपक्ष की ओर से कई हमलों का सामना किया है। लेकिन हाल ही में लोकसभा चुनाव के परिणामों ने भगवा दल के लिए समस्या का एक और मोर्चा खड़ा कर दिया है। एक दिन पहले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर को लेकर लापरवाही पर सख्त रुख दिखाया था। वहीं, अब आरएसएस की पत्रिका ऑर्गेनाइजर में कहा गया है कि भाजपा कार्यकर्ता अति आत्मविश्वास में थे और कुछ पार्टी कार्यकर्ता अपने ‘बुलबुले’ में खुश थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का आनंद उठा रहे थे। लेकिन, वह सड़कों पर जनता की आवाज नहीं सुन रहे थे।

पत्रिका में यह भी कहा गया कि हालांकि आरएसएस भाजपा की फील्ड फोर्स नहीं है, लेकिन चुनावी काम में सहयोग के लिए पार्टी नेता और कार्यकर्ता इसके स्वयंसेवकों के पास तक नहीं गए। इसमें आगे लिखा गया है कि सभी 543 लोकसभा सीटों पर मोदी के लड़ने की एक सीमित वैल्यू थी। गैरजरूरी राजनीति का एक बड़ा उदाहरण महाराष्ट्र है। अजित पवार के एनसीपी गुट ने भाजपा से हाथ मिलाया जबकि भाजपा और शिवसेना के पास बहुमत था। इस तरह का गैरजरूरी कदम क्यों लिया गया? भाजपा समर्थकों को दुख इसलिए हुआ क्योंकि वह वर्षों से कांग्रेस की इस विचारधारा के खिलाफ लड़ रहे थे। भाजपा ने एक ही झटके में अपनी ब्रांड वैल्यू कम कर ली।

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Gaurav Pandey

First published on: Jun 11, 2024 10:28 PM

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