Jawaharlal Nehru Vs B. R. Ambedkar: आजाद भारत का पहला चुनाव, जब पूरे देश में जवाहरलाल नेहरू की लहर थी। कांग्रेस पार्टी के पक्ष में गजब का जनाधार था। इस चुनाव में नेहरू कैबिनेट में मंत्री रहे और भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर भी चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे थे। उत्तरी मुंबई लोकसभा सीट से अंबेडकर चुनावी मैदान में थे लेकिन एक दूध वाले के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बीच क्या आप जानते हैं कि आंबेडकर की यह हार नेहरू की वजह से हुई थी? आखिर नेहरू ने अपने कैबिनेट के साथी रहे अंबेडकर को चुनाव क्यों हरवाया?
आजादी के बाद 1951-52 में देश के पहले चुनाव हुए। पंडित जवाहरलाल नेहरू की अगुवाई में कांग्रेस चुनावी मैदान में थी, जबकि नेहरू के कई पुराने साथी चुनाव में कांग्रेस के दुश्मन बन चुके थे। इन नामों में उस जमाने के दिग्गज वकील और नेहरू की अंतरिम सरकार में मंत्री रहे अंबेडकर भी थे, जिन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन देश के पहले चुनाव से पहले मतभेद की वजह से अंबेडकर ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अनुसूचित जाति महासंघ को मजबूत करने का फैसला लिया।
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