EC Figures About Voting Percentage: लोकसभा चुनाव में वोटिंग के बाद चुनाव आयोग ने जो आंकड़े सार्वजनिक किए हैं। उनको लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है। विपक्ष की ओर से पूछा गया है कि आखिर वोटिंग पर्सेंटेज में अंतर कैसे आ गया? आंकड़ों को जारी करने में आयोग को आखिर कैसे 11 दिन लग गए? विपक्ष की ओर से आयोग पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। चुनाव आयोग को आखिर क्यों नियमों को बदलने की जरूरत पड़ी है? वहीं, बीजेपी की ओर से भी विपक्ष पर पलटवार किया गया है। आपको बता दें कि दो चरणों में मतदान लोकसभा चुनाव के लिए हो चुका है।
19 और 26 अप्रैल को वोटिंग हुई थी। लेकिन आयोग ने वोटिंग टर्नआउट को लेकर आंकड़े 30 मई को जारी किए हैं। अब 11 दिन बीतने के बाद आंकड़े जारी करने पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है। कई नेताओं के बयान विपक्ष की ओर से सामने आए हैं। जिन्होंने कहा कि पहले डाटा को समय के हिसाब से आयोग जारी करता था। लेकिन इस बार इतनी देरी सवालों के घेरे में आना लाजिमी है। विपक्ष का कहना है कि पहले लोकसभा सीट की हर विधानसभा सीट और निर्वाचन क्षेत्र का हर मतदाता का डाटा जारी किया जाता था। लेकिन इस बार ऐसा क्यों नहीं किया गया? आइए जानते हैं पूरे मामले के बारे में…