---विज्ञापन---

17 करोड़ का इंजेक्शन! जानिए…बच्चों में होने वाली किस घातक बीमारी से बचाने के लिए होता है इस्तेमाल

Zolgensma Injection used to protect children from SMA: गौर करने वाली बात ये है कि ये इंजेक्शन स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) बीमारी से पीड़ित बच्चों को 2 साल की उम्र पूरी करने से पहले दिया जाता है।

Edited By : Hemendra Tripathi | Updated: Nov 9, 2023 13:28
Share :

Zolgensma Injection used to protect children from SMA: देशभर में इलाज के दौरान आपने कई ऐसी दवाओं का नाम सुना होगा, जो बेहद महंगी होती हैं, जिन्हें खरीद पाना किसी आम आदमी के बस में भी नहीं होता। ऐसी ही एक दवाई का नाम एक बार फिर सामने आया है, जिसके 1 इंजेक्शन की कीमत कोई 1 हजार या 5 हजार नहीं बल्कि करोड़ों में है। गौर करने वाली बात ये है कि ये इंजेक्शन स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) बीमारी से पीड़ित बच्चों को 2 साल की उम्र पूरी करने से पहले दिया जाता है। दरअसल, एसएमए का एक नया मामला हैदराबाद में सामने आया है, जिसमें 15 महीने के बच्चे को जोलगेस्मा नामक 17 करोड़ की कीमत वाले इस इंजेक्शन की जरूरत है। इस इंजेक्शन को लेकर इसकी कीमत की वजह से अब चर्चाए हो गई हैं।

भारत में सिर्फ 90 बच्चों को दिया जा चुका है जोलगेस्मा इंजेक्शन

मिली जानकारी के अनुसार, 2 साल से कम उम्र वाले बच्चों को दिया जाने वाला ये इंजेक्शन भारत में अभी तक 90 बच्चों को दिया जा चुका है। वह भी उस स्थिति में जब इसे बच्चों में होने वाली स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी नामक बीमारी को पूरी तरह से ठीक करने के लिए उपयुक्त भी नहीं माना जा रहा था। मिली जानकारी के अनुसार, पश्चिमी देशों में एसएमए की वजह बनने वाले जीन 50 में से एक व्यक्ति में ही होते हैं लेकिन भारत में यह 38 में से एक व्यक्ति में पाए जाते हैं। इतना ही नहीं, एक अध्ययन से ये भी सामने आया है कि दुनिया भर में हर 10 हजार में 1 बच्चा SMA जैसी बीमारी के साथ जन्म ले रहा है, जो बेहद चिंताजनक है। औऱ इसी के कारण शिशु मृत्यु दर भी लगातार बढ़ता जा रहा है।

---विज्ञापन---

ये भी पढ़ें: छात्रा को 15 महीने कैद में रखा… फिर धर्म परिवर्तन कराकर कई लोगों ने किया दुष्कर्म, घर पहुंची ‘कायनात’ ने सुनाई आपबीती

SMA एक जेनेटिक बीमारी, गंभीर स्थिति में होती है मौत

बताया जाता है कि एसएमए एक जेनेटिक बीमारी है, जो जीन्स में म्यूटेशन से होती है। इस बीमारी के चलते शरीर की मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और गंभीर स्थिति में लकवा या मौत भी हो जाती है। इसके साथ ही आपको बता दें कि स्विस फार्मा कंपनी नोवार्टिस ने एसएमए के इलाज के लिए जोलगेस्मा इंजेक्शन को बनाया। यह 2 साल से छोटे बच्चों की मोटर न्यूरॉन कोशिकाओं में SMA जीन को कंट्रोल करता है, जिससे उनकी मांसपेशियों का नियंत्रण व काम बेहतर होने लगता है। जानकारी के अनुसार, इसे केवल एक बार 1 के लिए दिया जाता है।

---विज्ञापन---

ये भी पढ़ें: बुजुर्ग माता-पिता की ख्याल न रखने वाले बच्चे घर से होंगे बेदखल! योगी सरकार जल्द कर सकती है बड़ा ऐलान

जानिए, आखिर क्यों इतना महंगा है जोलगेंस्मा इंजेक्शन

इंजेक्शन के इतने अधिक महंगे होने की वजह को लेकर बताया जाता है कि जोलगेंस्मा बनाने के लिए विस्तृत शोध और विकास प्रक्रिया काफी लंबी है। काफी जटील रोगों के साथ इसके महंगा होने की वजह से इसकी मांग व उत्पादन कम होा है। लिहाजा, यही कारण है कि इस एक इंजेक्शन की कीमत बढ़ी हुई है। आपको बता दें कि जोलगेस्मा का विकल्प इससे भी महंगा है। अमेरिकी एफडीए ने 2016 में स्पिराजा (न्यूसिनेंस) इंजेक्शन को एसएमए मरीजों को उपयोग करने को लेकर अनुमति दी गई थी। लेकिन इसका एक डोज काफी नहीं, बल्कि इसे हर साल उम्र भर लेना होता है। इस इंजेक्शन के डोज की बात करें तो इसका पहला डोज 4.2 करोड़ रुपए का है और फिर हर साल 2.1 करोड़ का डोज लेना होता है। दूसरा विकल्प रिस्डापाल्म एवरीस्टी है, जो 20 किलो वजन वाले बच्चे के लिए इसका सालाना खर्च 72.8 लाख रुपए लगता है। इसे 2 महीने की उम्र से बच्चे को दिया जा सकता है।

HISTORY

Written By

Hemendra Tripathi

First published on: Nov 09, 2023 01:28 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.