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पाताल में समाता जा रहा दुनिया का ये मुस्लिम देश, जमीन में हुए 700 गड्ढे! वैज्ञानिकों ने किया डराने वाला खुलासा

2000 के दशक से यह समस्या धीरे‑धीरे सामने आने लगी थी, लेकिन अब यह एक भयावह रूप ले चुकी है. अगस्त 2025 में करमान प्रांत के सुदुरागी गांव में 15 मीटर चौड़ा और 5 मीटर गहरा गड्ढा बना था.

Author Written By: Akarsh Shukla Updated: Dec 13, 2025 23:31

पाकिस्तान का करीबी दोस्त तुर्किए इन दिनों बड़ी प्राकृतिक विपत्ति झेल रहा है, जिसका नजारा देख वैज्ञानिक भी हैरान हैं. सोशल मीडिया पर तुर्किए से कई तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें बड़े-बड़े गड्ढों को देखा जा सकता है. ये गड्ढे इतने बड़े है कि फुटबॉल-क्रिकेट ग्राउंड भी इसके आगे छोटे पड़ जाएं. तुर्किए में अचानक से इतने बड़े गड्ढे कैसे बन गए, इनकी संख्या भी एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों में है. बताजा रहा है कि तुर्किए के कई इलाकों में ऐसे 700 गड्ढे पाए गए हैं.

इन गड्ढों को क्यों कहा जाता है ‘ओब्रुक’?

तुर्की के मध्य इलाके कोन्या प्लेन में इन गड्ढों की बड़ी तादाद ने सबको परेशान कर दिया है. इन गड्ढों को स्थानीय लोग ‘ओब्रुक’ कहते हैं, यानी ऐसे सिंकहोल जो खेत, सड़कें और बस्तियों को निगल रहे हैं. दिसंबर 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, कोन्या, करमान और अक्सराय इलाकों में अब तक करीब 700 ओब्रुक दर्ज किए गए हैं, जिनमें से अकेले करापिनार जिले में लगभग 534 हैं. कोन्या को तुर्की का ‘ग्रेन बाउल’ यानी अनाज की टोकरी कहा जाता है, जहां देश का 36% गेहूं और 35% चुकंदर पैदा होता है. लेकिन अब किसान डर के साए में जी रहे हैं.

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क्यों बन रहे ये विशाल गड्ढे?


जिन खेतों में कभी ट्रैक्टर चलाने का शौक था, वहीं अब हर मोड़ पर यह खौफ है कि कहीं जमीन अचानक न धंस जाए. कई किसानों को अपने खेत छोड़ने पड़े हैं. कुछ जगह तो दो-दो ओब्रुक एक ही खेत में बन गए हैं. एक्सपर्ट्स का मानता है कि इतने बड़े पैमाने पर ओब्रुक बनने की सबसे बड़ी वजह लंबे समय से चल रहा सूखा और भूजल का गिरता स्तर है. कोन्या प्लेन कार्स्ट क्षेत्र में आता है, जहां जमीन के नीचे चूना पत्थर की परतें हैं. ये पानी में आसानी से घुल जाती हैं. जब भूजल का स्तर नीचे चला जाता है, तो ऊपर की मिट्टी अपना सहारा खो देती है और अचानक ढह जाती है, नतीजन धरती में ये विशाल गड्ढे बन जाते हैं.

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नासा ने दी चेतावनी


नासा की रिपोर्ट बताती है कि 2021 में यहां के जलाशय 15 साल के सबसे निचले स्तर पर थे. हजारों वैध और अवैध बोरवेल से लगातार भूजल खींचने से यह संकट और बढ़ गया. बारिश की कमी ने हालात को और खतरनाक बना दिया है. 2000 के दशक से यह समस्या धीरे‑धीरे सामने आने लगी थी, लेकिन अब यह एक भयावह रूप ले चुकी है. अगस्त 2025 में करमान प्रांत के सुदुरागी गांव में 15 मीटर चौड़ा और 5 मीटर गहरा गड्ढा बना था. अगले ही महीने करापिनार में 40 मीटर गहरा ‘इनूओबा ओब्रुक’ दिखाई दिया. अब वैज्ञानिकों की निगरानी में इन सिंकहोल्स का रिस्क मैप बनाया जा रहा है ताकि बस्तियों और सड़कों को बचाया जा सके.

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First published on: Dec 13, 2025 11:31 PM

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