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पर्यटकों को लुभा रहा मंडी का त्सेचू मेला, लामा डांस बना मुख्य आकर्षण

Tsechu Fair in Mandi: मंडी के त्सेचू मेले में जब लामा भिक्षुओं ने रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर नृत्य किया, तो हर कोई देखता ही रह गया। ढोल-नगाड़ों की आवाज और भक्ति का माहौल दिल को छू गया। ऐसा लगा जैसे कुछ देर के लिए सारी चिंताएं दूर हो गईं और सिर्फ खुशियां ही बचीं।

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: Mar 9, 2025 18:02
Tibetan Monks Perform Cham Dance
Tibetan Monks Perform Cham Dance

Tsechu Fair in Mandi: हर साल हिमाचल प्रदेश के मंडी में त्सेचू मेला होता है, लेकिन इस बार नजारा कुछ खास था। तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं ने जब रंग-बिरंगे कपड़े और पारंपरिक मुखौटे पहनकर छम नृत्य किया, तो माहौल भक्तिमय हो गया। ढोल-नगाड़ों की धुन पर भिक्षु जब लय में नाचे, तो हर कोई उन्हें देखकर मंत्रमुग्ध हो गया। यह नृत्य सिर्फ एक परंपरा नहीं बल्कि गुरु पद्मसंभव के प्रति आस्था और सम्मान का प्रतीक है। श्रद्धालु भावुक होकर इस नज़ारे को देख रहे थे मानो कुछ पलों के लिए सारी चिंताएँ दूर हो गई हों।

त्सेचू मेले में हुआ छम नृत्य (लामा नृत्य) का भव्य आयोजन

हिमाचल प्रदेश के मंडी में त्सेचू मेले के मौके पर तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं ने छम नृत्य (लामा डांस) किया। यह मेला गुरु पद्मसंभव की जयंती पर मनाया जाता है। छम नृत्य तिब्बती बौद्ध धर्म की खास परंपरा है। इसमें भिक्षु रंग-बिरंगे कपड़े और खास मुखौटे पहनकर नाचते हैं। यह नृत्य सिर्फ आस्था से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसे बुरी शक्तियों को दूर भगाने और अच्छी ऊर्जा लाने का प्रतीक भी माना जाता है। इस आयोजन को देखने के लिए मंडी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आए।

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कौन हैं गुरु पद्मसंभव

गुरु पद्मसंभव, जिन्हें गुरु रिनपोछे भी कहते हैं 8वीं शताब्दी के एक महान भारतीय बौद्ध संत थे। उन्होंने तिब्बत में वज्रयान बौद्ध धर्म की नींव रखी। कहा जाता है कि उन्होंने तिब्बत में बौद्ध धर्म को फैलाने के लिए कठिन साधनाएं कीं और तंत्र विद्या का प्रचार किया। तिब्बती बौद्ध धर्म में उन्हें एक दिव्य गुरु माना जाता है, जिन्होंने बुरी शक्तियों को हराकर ज्ञान और शांति का संदेश दिया। उनके सम्मान में त्सेचू मेला मनाया जाता है, जिसमें भिक्षु धार्मिक अनुष्ठान और पारंपरिक नृत्य करते हैं।

सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन को मिलता बढ़ावा

यह मेला हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए भी एक खास सांस्कृतिक उत्सव बन गया है। इसमें सिर्फ बौद्ध धर्म के अनुयायी ही नहीं, बल्कि अन्य समुदायों के लोग भी शामिल होते हैं और मेले की सुंदरता का आनंद लेते हैं। छम नृत्य के दौरान भिक्षु पारंपरिक संगीत की धुन पर खास अंदाज में नृत्य करते हैं, जिससे माहौल आध्यात्मिक हो जाता है। यह मेला पर्यटकों के लिए सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि तिब्बती संस्कृति को करीब से देखने और समझने का अनोखा मौका भी देता है। इससे मंडी में पर्यटन बढ़ता है और स्थानीय दुकानदारों को भी फायदा होता है।

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Edited By

Ashutosh Ojha

First published on: Mar 09, 2025 06:02 PM

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