भारत के इतिहास की बात करें तो हमें ऐसी अनेकों कहानियां, किस्से सुनने और पढ़ने को मिल जाएंगे जो लोगों को आज भी शौर्य, प्रेरणा औऱ गर्व से भर देते हैं. वहीं, भारत के इतिहास में जितना योगदान पुरुषों का रहा उतना ही महिलाओं का भी रहा.
आज भी अगर कोई भारतीय इतिहास के पन्ने पलट कर देखेगा तो उन्हें कई नाम मिलेंगे जिनके बारे में वो जानना चाहेंगे. ऐसा ही एक नाम है एक महान भारतीय महारानी पद्मिनी का. जो मेवाड़ की रानी थी. इनकी पहचान भारतीय इतिहास में सबसे महान और साहसी रानियों में से एक थी.
वहीं, जब दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने मेवाड़ की महारानी के किस्से सुने तो वो पागल सा हो गया था. जिसके बाद खिलजी किसी भी तरह से रानी पद्मिनी को पाना चाहता था और उसके लिए खिलजी ने संघर्ष करना भी शुरू कर दिया था.
बता दें कि मलिक मुहम्मद जायसी के महाकाव्य पद्मावत में भी इस कहानी का जिक्र मिलता है. रानी पद्मिनी चित्तौड़ के राजा रतन सिंह की पत्नी थीं. रानी पद्मिनी भारतीय इतिहास की उन वीरांगनाओं में से एक हैं, जिनकी कहानी वीरता और बलिदान का प्रतीक है.
वहीं, 1303 ई. में दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया था, जिसके कारण दिल्ली सल्तनत और चित्तौड़ के बीच भयंकर युद्ध हुआ था. कहते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी की सुंदरता के किस्सें सुने थे और उन्हीं से मोहित होकर उसने चित्तौड़ पर आक्रमण किया था.
इस युद्ध के दौरान राजपूत योद्धाओं ने बड़ी बहादुरी के साथ दिल्ली सल्तनत की सेनाओं से लोहा लिया. इस भयानक युद्ध में चित्तौड़ के राजा रतन सिंह वीरगति को प्राप्त हुए, लेकिन रानी पद्मिनी ने दिल्ली सल्तनत की अधीनता स्वीकार करने के मना कर दिया था.
वहीं, राजपूत योद्धाओं ने पूरे दमखम और बहादूरी के साथ दिल्ली सल्तनत की सेना से युद्ध किया लेकिन जब हार नजदीक आ गई तो रानी पद्मिनी ने अन्य औरतों के साथ मिलकर जौहर किया जिससे वह अलाउद्दीन खिलजी के हाथ न लग सके. कहते हैं कि इस घटना ने भारतीय इतिहास को पूरी तरह बदल के रख दिया था.
चित्तौड़ राज्य दिल्ली सल्तनत के कब्जे में आ गया लेकिन फिर भी अलाउद्दीन खिलजी की ख्वाहिश थी रानी पद्मिनी को पाने की वो कभी पूरी नहीं हो सकी.










