Interesting Facts About Tirupati Temple (Balaji Temple) : आंध्र प्रदेश में तिरुपति बालाजी मंदिर को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मंदिर में दिए जा रहे प्रसाद में मछली के तेल और जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल की पुष्टि हुई है। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद से ही देश के संतों और भक्तों में नाराजगी देखने को मिल रही है। अब इस पर जमकर राजनीति भी हो रही है। आज हम आपको तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कुछ दिलचस्प सवालों के जवाब बताने जा रहे हैं।
तिरुपति मंदिर में पूजा के लिए फूल कहां से आते हैं?
तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान की पूजा के लिए फूल, घी, दूध, छाछ, पवित्र पत्ते आदि मंदिर से लगभग 22 किलोमीटर दूर स्थित एक अज्ञात गांव से लाए जाते हैं।
तिरुपति मंदिर में भगवान की मूर्ति कहां रखी गई है?
देखने में ऐसा लगता है कि तिरुपति मंदिर में भगवान की मूर्ति बीच में रखी हुई है लेकिन ऐसा नहीं है. मूर्ति मंदिर के दाहिने कोने में रखी गई है।
तिरुपति मंदिर में समुद्र की लहरों की आवाज कहां सुनाई देती है?
कहा जाता है कि मंदिर में मौजूद भगवान की मूर्ति में कान लगाने पर समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई देती है।
तिरुपति मंदिर की मूर्ति का तापमान कितना रहता है?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मूर्ति का तापमान 110 डिग्री फारेनहाइट रहता है, भले ही मंदिर ऊंचाई पर है और आसपास का वातावरण ठंडा है।
बालाजी मंदिर को और किस नाम से जानते हैं?
भगवान श्री वेंकटेश्वर ने पांच हजार साल पहले तिरुमाला को अपना निवास स्थान बनाया था। उनसे भी पहले भगवान वराहस्वामी ने ही तिरुमाला को अपना निवास स्थान बनाया था। भगवान श्री वेंकटेश्वर को श्रीनिवास, बालाजी और वेंकटचलपति के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर में क्यों दान किए जाते हैं बाल?
मंदिर में अपने बाल दान देने की प्रथा सदियों पुरानी है। सभी उम्र के लोग, महिलाएं और पुरुष भगवान के दर्शन से पहले मंदिर परिसर के पास अपना सिर मुंडवाते हैं। मंदिर की तरफ से इसके लिए अच्छी सुविधाएं दी गईं हैं। कहा जाता है, बालाजी को किसी वजह से सिर में चोट लग गई थी, उनके बाल भी निकल गए थे। ऐसे में नीला देवी नामक एक गंधर्व राजकुमारी ने तुरंत अपने बालों का एक हिस्सा काट दिया और इसे बालाजी को सौंपकर उसे अपने सिर लगाने की अपील की। भगवान ने इसे स्वीकार कर लिया और वादा किया कि जो कोई भी उनके मंदिर में आएगा और अपने बाल अर्पित करेगा, उसे आशीर्वाद मिलेगा। तब से मंदिर में अपना सिर मुंडवाने की प्रथा चली आ रही है।
अब क्यों हो रहा है विवाद?
आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने यह दावा कर सनसनी मचा दी है कि पिछली सरकार (तत्कालीन सीएम जगन मोहन रेड्डी) में तिरुपति मंदिर में मिलने वाले प्रसाद में घी की जगह जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा था। 9 जुलाई को मंदिर बोर्ड ने घी के सैंपल गुजरात स्थित पशुधन लैब (NDDB CALF Ltd.) भेजे और 16 जुलाई को लैब रिपोर्ट आई। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की फूड लैब काल्फ (CALF) ने बताया कि जानवरों की चर्बी और फिश ऑयल से तैयार घी में प्रसादम के लड्डुओं बनाए जा रहे हैं।