बिहार की एक टीचर ने बच्चों को रोज सही सलामत स्कूल पहुंचाने के लिए एक ऐसी कदम उठाया, जिसके बहुत सराहा जा रहा है। यह घटना बिहार भोजपुर की है, जहां कि एक महिला टीचर गौरी त्रिपाठी अपने शानदार काम के लिए काफी चर्चा में हैं। गौरी बच्चों को न केवल स्कूल में पढ़ाती हैं, बल्कि ये कोशिश भी करती हैं कि बच्चे सही समय पर ठीक-ठाक स्कूल पहुंच जाए इसका भी ध्यान रखती है। गौरी रोज खुद ही बच्चों को पैसेंजर वैन की मदद से 10 किलोमीटर दूर स्कूल पर छोड़ती हैं और उनको वापस घर भी पहुंचाती है।
अन्य लोगों की भी करती हैं मदद
इस बच्चों को स्कूल ले आने और ले जाने के अलावा गौरी अपने रास्ते में मिलने वाले अन्य यात्रियों को भी उनके गंतव्य पर पहुंचाती हैं। हालांकि गौरी को कई अलग नजरों का सामना करना पड़ता है, जो उनको प्रश्न भरी निगाहों से देखते हैं। गौरी त्रिपाठी बताती हैं कि गाड़ी चलाते समय उन्हें कोई शर्मिंदगी महसूस नहीं होती।
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क्यों लिया ये फैसला?
बता दें कि गौरी त्रिपाठी 2016 से बिहार के भोजपुर जिले में स्थित कसाप गांव में आरआर शिक्षा निकेतन नाम से एक प्राइवेट स्कूल चला रही हैं। गौरी के स्कूल मे दूर-दराज और आस-पास के बच्चे पढ़ने आते हैं। हालांकि शुरुआत में गौरी ने बच्चों को ले आने और ले जाने के लिए एक ड्राइवर की व्यवस्था की थी, मगर एक बार ड्राइवर ने नशे में वैन को खंभे से लड़ा दिया था। भले ही किसी बच्चे को कोई चोट नहीं लगी, लेकिन इस घटना ने गौरी को चिंता में डाल दिया।
इसके बाद, उन्होंने खुद गाड़ी चलाना सीखने का विचार किया और बच्चों को सुरक्षित स्कूल लाने और ले जाने लगीं। गौरी का कहना है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। आत्मविश्वास के साथ कोई भी काम आसानी से पूरा किया जा सकता है। बिहार की गौरी भारतीय महिलाओं के लिए इंस्पिरेशन हैं।
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