नई दिल्ली: बर्मिंघम में भारत के वेटलिफ्टर संकेत सरगर ने सिल्वर मेडल जीतकर कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत को पहला मेडल दिलाया। हालांकि वे गोल्ड के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे, लेकिन चोट के चलते चूक गए। इसकी कसक उनके मन में रह गई। संकेत का बर्मिंघम तक का सफर इतना आसान नहीं रहा। उनके पिता महाराष्ट्र के सांगली में ‘पान’ की दुकान और चाय का ठेला चलाते हैं। जब संकेत देश को गौरवान्वित कर रहे थे, तब उनके पिता चाय बना रहे थे।
तीन बच्चों के पिता महादेव आनंद सरगर और उनकी पत्नी राजश्री के लिए उनके बेटे की रुचि को चुनना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मुश्किल परिस्थितियों में भी बेटे को उन्होंने अपने सपनों का पीछा करने से नहीं रोका। जब संकेत ने 2014 में 13 साल की उम्र में भारोत्तोलन में रुचि दिखाई, तो माता-पिता ने उन्हें सपोर्ट किया।
हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं
उनके पिता ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, वह हमेशा अपनी डाइट के बारे में चिंतित रहता था। हमारी आर्थिक स्थिति बहुत नाजुक थी। ज्यादा पैसा नहीं मिलता चाय के धंधे में। तीन बच्चे हैं, मेरा दूसरा बेटा और छोटी लड़की भी पढ़ाई करते हैं। संकेत की मां चाय की दुकान में उनके पिता की सहायता करती हैं।
लगातार हासिल कर रहे कामयाबी
संकेत वेटलिफ्टिंग की दुनिया में लगातार कामयाबी हासिल कर रहे हैं। संकेत ने इस साल फरवरी में सिंगापुर वेटलिफ्टिंग इंटरनेशनल में 256 किग्रा (स्नैच में 113 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 143 किग्रा) उठाकर कॉमनवेल्थ और नेशनल रिकॉर्ड तोड़कर इतिहास रचा था। संकेत ने खेलों इंडिया यूथ गेम्स 2020 और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2020 में स्वर्ण पदक जीता था।
फूट-फूट कर रो पड़े पिता
संकेत के पिता बेटे को याद कर फूट-फूट कर रो पड़े। उन्होंने कहा, हम दो साल से उससे नहीं मिले। दो साल से बच्चे को नहीं मिले तो जिंदगी में क्या है। संकेत पटियाला में राष्ट्रीय खेल संस्थान में प्रशिक्षण लेते हैं। उन्होंने आगे कहा, वह दो साल से पंजाब में है ना। खाली मोबाइल पर ही उसे देख पाते हैं। संकेत का छोटा भाई वीडियो चैट या वॉट्सपएप कॉल के जरिए माता-पिता की बात कराता है। संकेत के पिता ने कहा, मैंने संकेत से बोला है कि हमारी परिस्थति नाज़ुक है, तुम अच्छा करो, थोड़ा और कोशिश करो।” “वो बोला, ‘मैं अच्छा करूंगा, नाम कमाऊंगा। संकेत ने निराश नहीं किया हालांकि वे गोल्ड से चूक गए।