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Vrindavan: बांके बिहारी मंदिर में क्यों नहीं होती मंगला आरती ? जानिए इस अद्भुत परंपरा का रहस्य

Vrindavan: वृंदावन आकर अगर आपने बांके बिहारी मंदिर नहीं देखा तो समझिए आपने कुछ नहीं देखा। यह मंदिर हर भक्त को प्रेम और भक्ति की गहराई में डुबो देता है।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Feb 13, 2025 13:03
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Banke Bihari Temple
बांके बिहारी मंदिर

Vrindavan: वृंदावन प्रेम और भक्ति की नगरी जहां हर गली में कान्हा की लीलाओं की गूंज सुनाई देती है। इस पवित्र नगरी में स्थित बांके बिहारी मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं और दिव्य वातावरण के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जहां हर कृष्ण मंदिर में मंगला आरती (सुबह की आरती) होती है वहां बांके बिहारी मंदिर में यह क्यों नहीं होती? आइए जानते हैं इस रहस्य से जुड़ी रोचक कहानी।

बांके बिहारी मंदिर का अद्भुत स्वरूप

यह मंदिर ठाकुर श्री बांके बिहारी जी को समर्पित है जो राधा-कृष्ण के रूप माने जाते हैं। यहां भगवान की मूर्ति एक खास मुद्रा में है जिसमें वह त्रिभंग मुद्रा में खड़े हैं। यही वजह है कि इन्हें “बांके” बिहारी कहा जाता है।

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मंगला आरती क्यों नहीं होती?

भगवान कृष्ण के दुसरे मंदिरों में मंगला आरती सूर्योदय से पहले की जाती है लेकिन बांके बिहारी जी को गहरी नींद से जगाने की परंपरा नहीं है। इसके पीछे एक अद्भुत कहानी जुड़ी हुई है।

रहस्य से भरी कहानी

माना जाता है की रात को भगवान कृष्ण रासलीला रचाने निधीवन जाते हैं और 12 से 3 के पहर में वापस मंदिर लौटते हैं और वो यहां बाल रूप में भी पूजे जाते हैं। लोगों का मानना हैं की वो भगवान की नींद खराब नहीं करना चाहते इसलिए वह उन्हें सुबह जल्दी नहीं जगाते। इसलिए दुसरे मंदिरों की तरह यहां मंगला आरती नहीं होती। भक्तों का मानना है कि बांके बिहारी जी को उनके आनंदपूर्ण नींद में रखना ही असली भक्ति है।

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दुसरी अनोखी परंपराएं

  • पर्दे का बार-बार गिरना: बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के समय हर कुछ सेकंड में पर्दा गिरा दिया जाता है। कहा जाता है कि ठाकुर जी की छवि इतनी मोहक है कि अगर भक्त उन्हें लगातार देखते रहें तो वह चेतना खो सकते हैं या समाधि में लीन हो सकते हैं।
  • दोपहर में ही होते हैं दर्शन: जहां दुसरे मंदिरों में भगवान की सेवा पूरे दिन की जाती है वहीं बांके बिहारी जी के दर्शन केवल शयन काल तक ही होते हैं। रात में उन्हें ज्यादा समय तक विश्राम दिया जाता है।

कब और कैसे जाएं?

बांके बिहारी मंदिर वृंदावन में स्थित है और आप यहां दिल्ली या मथुरा से आसानी से पहुंच सकते हैं।

बांके बिहारी मंदिर की परंपराएं दिखाती हैं कि भगवान सिर्फ भक्ति और प्रेम से प्रसन्न होते हैं न कि किसी कठोर नियम से। यहां कोई सुबह जल्दी उठाने की जरूरत नहीं कोई कठोर अनुशासन नहीं बस प्रेम, आनंद और सेवा। अगर आप वृंदावन जाएं तो बांके बिहारी जी के दर्शनों का आनंद लें और उनकी मोहक छवि को अपने दिल में बसा लें। तो कब जा रहे हैं आप बांके बिहारी जी के दर्शन के लिए?

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News24 हिंदी

First published on: Feb 13, 2025 01:03 PM

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