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पश्चिम बंगाल

क्या है मतुआ और राजवंशी समुदाय? जिस पर आमने-सामने आई BJP और TMC

BJP And TMC: पश्चिम बंगाल में एक बार फिर मतुआ और राजवंशी समुदाय पर राजनीति शुरू हो गई है। ममता बनर्जी के आरोप के बाद बीजेपी ने भी पलटवार किया है। दोनों पार्टियां कैसे पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव साध रही हैं, पढ़िए पूरी रिपोर्ट। 

Author Written By: Kumar Gaurav Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Jul 19, 2025 19:09

BJP And TMC: पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन राजनीति इसी साल से शुरू हो गई है। मतुआ और राजवंशी समाज को लेकर TMC की तरफ से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और बीजेपी आमने-सामने आ गई हैं। ममता ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि बीजेपी शासित राज्यों में मतुआ और राजवंशी समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। इन समुदायों के लोगों को परेशान, गिरफ्तार और प्रताड़ित किया जा रहा है। अब बीजेपी ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि ममता बनर्जी झूठा डर दिखाकर समुदाय का वोट बैंक साधना चाहती हैं। दोनों समुदाय पश्चिम बंगाल में बड़ी मात्रा में हैं। ऐसे में दोनों पार्टियां साल 2026 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए दोनों समुदाय को लुभाने में जुट गईं हैं। मतुआ और राजवंशी समुदाय पश्चिम बंगाल में सामाजिक, राजनीतिक और चुनावी लिहाज से काफी अहम माने जाते हैं।

प. बंगाल की राजनीति में दोनों समुदाय का कितना प्रभाव?

इस समुदाय को नमशूद्र भी कहा जाता है। बांग्लदेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) से आए हिंदू शरणार्थी दलितों का सबसे बड़ा समुदाय है। एक आंकड़े के अनुसार, प. बंगाल में मतुआ वोटर की संख्या 1.75 से 2 करोड़ के बीच है। यह संख्या कुल अनुसूचित जाति (SC) आबादी का 17–18 प्रतिशत है। पश्चिम बंगाल की 11 लोकसभा सीटों पर इस समुदाय का अच्छा खासा प्रभाव रहता है। इसमें नॉर्थ चौबीस परगना, साउथ चौबीस परगना, नदिया, कूचबिहार, मालदा, हावड़ा और हुगली के कुछ हिस्से शामिल हैं। दूसरी तरफ प्रदेश में राजवंशी समुदाय की आबादी 50 लाख से अधिक है। राजवंशी समुदाय का प्रभाव उत्तरी बंगाल के जिलों जैसे कूचबिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, दिनाजपुर, दार्जिलिंग और मालदा में हैं।

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अभी तक किसे फायदा

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों समुदायों ने खुलकर बीजेपी को समर्थन दिया था। मतुआ बहुल सीट बनगांव से शांतनु ठाकुर जीते, जो मतुआ समाज से हैं, अब केंद्रीय मंत्री भी हैं। राजवंशी प्रभाव वाले कई इलाकों में भी बीजेपी को बढ़त मिली। वहीं अगर 2021 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो ममता सरकार ने दोनों समुदायों को लुभाने के लिए योजनाएं शुरू कीं थीं। ममता सरकार ने मतुआ समुदाय के लिए जमीन का अधिकार, भाषा बोर्ड, छुट्टियां और छात्रवृत्तियों की घोषणा की थी। वहीं राजवंशी समुदाय के लिए कोर्ट, संस्कृति को बढ़ावा देने वाले निर्णय लिए थे। ममता सरकार के ऐसे प्रयास काफी सफल हुए। विधानसभा चुनाव में दोनों समुदायों ने टीएमसी को समर्थन दिया।

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पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने साधने का किया प्रयास

2021 के विधानसभा चुनाव में जब दोनों समुदायों का साथ टीएमसी को मिल गया तो 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दोनों समुदाय को प्रमुखता पर रखा। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले CAA लागू किया। इससे मतुआ समुदाय को आशा था कि उन्हें अब औपचारिक रुप से भारतीय नागरिक का दर्जा मिल जाएगा। मतदान के दौरान तो इन समुदाय को बीजेपी को समर्थन दिखाई दिया। लेकिन परिणाम में इनके वोट टीएमसी के खाते में ही गए।

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First published on: Jul 19, 2025 07:09 PM

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