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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

कौन हैं प्रोफेसर नइमा खातून? AMU की पहली महिला कुलपति, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नियुक्ति को ठहराया वैध 

Allahabad High Court Decision: प्रोफेसर नइमा खातून अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) की कुलपति बनी रहेंगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए AMU की पहली महिला कुलपति प्रोफेसर नइमा खातून की नियुक्ति को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। पढ़िए अलीगढ़ से हमारे संवाददाता अनिल चौधरी की पूरी रिपोर्ट।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: May 17, 2025 21:16
Allahabad High Court, AMU VC Professor Naima Khatoon।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रोफेसर नइमा खातून की नियुक्ति को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को किया खारिज।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शनिवार को एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (अमुवि) की पहली महिला कुलपति प्रोफेसर नइमा खातून की नियुक्ति को वैध ठहराया है। साथ ही कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज करते हुए उनके चयन को कानूनी, निष्पक्ष और विधिसम्मत बताया है। कोर्ट ने कहा कि वीसी के चयन को चुनौती देने का कोई आधार नहीं है। हाई कोर्ट ने इस नियुक्ति को संविधान सम्मत और महिला सशक्तिकरण और समावेशिता की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल बताया।

क्या कहा कोर्ट ने?

जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्र और जस्टिस डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने कहा कि नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया एएमयू अधिनियम, विनियमों और प्रावधानों के अनुरूप हुई है। हालांकि, प्रो. खातून के पति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने कार्यवाहक कुलपति के रूप में कुछ बैठकों की अध्यक्षता की थी, परंतु वे केवल औपचारिक भूमिका में थे और उनके होने से चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अदालत ने यह भी कहा कि अंतिम निर्णय भारत के राष्ट्रपति (जो विश्वविद्यालय के विजिटर होते हैं) द्वारा लिया गया और उनके विवेकाधिकार पर कोई पक्षपात का आरोप सिद्ध नहीं होता। अदालत ने माना कि प्रो. नइमा खातून की योग्यता और पात्रता निर्विवाद है और उनके चयन को चुनौती देने का कोई आधार नहीं बनता।

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क्या कहा प्रो. नइमा खातून ने?

वहीं, कुलपति प्रो. नइमा खातून ने कहा कि मुझे हमेशा भारत की न्यायपालिका की स्वतंत्रता, गरिमा और निष्पक्षता पर पूरा विश्वास रहा है। यह निर्णय केवल मेरे व्यक्तिगत स्तर पर न्याय नहीं है बल्कि हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों की संस्थागत प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक मूल्यों की पुष्टि भी है। मैं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की सेवा पूरी निष्ठा, पारदर्शिता और समावेशी शैक्षणिक उत्कृष्टता के संकल्प के साथ करती रहूंगी। मैं आशा करती हूं कि यह निर्णय हम सभी के लिए एक प्रेरणा बने और विश्वविद्यालय की ज्ञान, न्याय और प्रगति की विरासत को आगे बढ़ाने की हमारी साझा प्रतिबद्धता को और मजबूत करे।

कौन हैं प्रोफेसर नइमा खातून?

प्रो. नइमा खातून का जन्म 1961 में ओडिशा के जाजपुर जिले में हुआ था। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के 100 साल से अधिक के इतिहास में वह पहली महिला कुलपति नियुक्त की गई हैं। नइमा खातून पॉलिटिकल सायकोलॉजी की प्रोफेसर हैं और 2014 में वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या नियुक्त की गई थीं। नइमा खातून को अध्यापन का 36 वर्षों का अनुभव है। पॉलिटिक्ल सायकोलॉजी में पीएचडी करने वालीं नइमा खातून इस विषय की ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ और शिक्षाविद हैं। प्रोफेसर नइमा ने दुनिया के कई देशों में इसी विषय पर लेक्चर दिया है। अपने छात्र जीवन से ही मेधावी रहीं नइमा खातून ने एएमयू के वीमेंस कॉलेज से पढ़ाई की है। इस दौरान उन्होंने दो बार वीमेंस कॉलेज छात्रसंघ का भी नेतृत्व किया था। 1988 से अध्यापन में सक्रिय नईमा खातून को शैक्षिक प्रशासन (Educational Administration) का भी लंबा अनुभव है।

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नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ रवांडा में पढ़ा चुकी हैं

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वीमेंस कॉलेज में अध्यापन के अलावा उन्होंने अफ्रीका के रवांडा राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, मध्य अफ्रीका में भी अध्यापन कार्य किया है। जानी मानी शिक्षाविद प्रोफेसर नइमा खातून ने 6 किताबें लिखीं और संपादित की हैं। कई अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में उनके पेपर पब्लिश हो चुके हैं। उन्होंने अमेरिका, रोमानिया, बैंकॉक, टर्की समेत कई देशों में व्यखायन भी दिया है।

First published on: May 17, 2025 09:16 PM

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