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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

UP News: बिजली कर्मियों की हड़ताल पर सरकार का बड़ा एक्शन, बिना जांच होगी बर्खास्तगी

उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मियों की हड़ताल को लेकर हालात गंभीर हो गए हैं। सरकार ने सख्ती करते हुए चेतावनी दी है कि बिना किसी जांच-पड़ताल के हड़ताल में शामिल कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा। अब बिजली संकट और बढ़ सकता है, क्योंकि यह टकराव बड़ा रूप ले रहा है।

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: May 24, 2025 18:21
Uttar Pradesh Electricity Employees Strike 2025
Uttar Pradesh Electricity Employees Strike 2025

उत्तर प्रदेश में एक बार फिर बिजली संकट गहराने की आशंका है, क्योंकि 29 मई से बिजली कर्मियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। यह हड़ताल प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में की जा रही है। सरकार ने इस बार सख्ती दिखाते हुए चेतावनी दी है कि आंदोलन में शामिल होने वाले कर्मचारियों को बिना किसी जांच के नौकरी से निकाल दिया जाएगा। बिजली व्यवस्था को सुचारु रखने के लिए सरकार ने नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह टकराव किस ओर मोड़ लेता है।

हड़ताल करने पर बिना जांच होगी बर्खास्तगी

उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर सरकार ने बहुत कड़ा कदम उठाया है। 29 मई को बिजली कर्मचारी हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। वे बिजली व्यवस्था को प्राइवेट (निजी) किए जाने का विरोध कर रहे हैं। सरकार ने कहा है कि अगर कोई भी कर्मचारी बिना इजाजत के हड़ताल में शामिल हुआ, तो उसे बिना पूछे ही नौकरी से निकाल दिया जाएगा। इसके अलावा सरकार ने यह भी कहा है कि कर्मचारी को उसके पद से हटाया जा सकता है या उसकी पोस्ट घटाई जा सकती है। यह सब फैसला एक नए नियम के तहत किया गया है, जिसे पावर कॉरपोरेशन ने 2020 में बनाया और अब उसमें बदलाव किया गया है। सरकार चाहती है कि बिजली की सेवा में कोई रुकावट न आए, इसलिए यह सख्ती की जा रही है।

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नियमों में बदलाव कर दी गई नियुक्ति प्राधिकारी को ताकत

पावर कॉरपोरेशन की एक बैठक में यह फैसला हुआ है कि कर्मचारियों के लिए बनाए गए नियम अब और सख्त किए जाएंगे। यह नियम पहले से बने थे, जिनका नाम है कार्मिक (अनुशासन और अपील) नियमावली 2020। अब इसमें 5वीं बार बदलाव किया गया है, जिससे ये नियम और कड़े हो गए हैं। नए नियम के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी हड़ताल करता है या किसी आंदोलन में शामिल होता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने साफ कहा है कि बिजली की सप्लाई में कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए। जो भी कर्मचारी ऐसा करेगा, उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। यह नया नियम अब लागू हो चुका है और इसका नाम रखा गया है पावर कॉरपोरेशन कार्मिक (अनुशासन और अपील) (5वां संशोधन) नियम 2025।

पूर्वांचल और दक्षिणांचल में निजीकरण का विरोध

बिजली कर्मचारियों का आंदोलन खासकर पूर्वांचल और दक्षिणांचल में हो रहा है। ये कर्मचारी बिजली के निजीकरण के खिलाफ हैं। इन इलाकों के कर्मचारियों को डर है कि अगर बिजली व्यवस्था निजी हाथों में चली गई, तो उनकी नौकरी चली सकती है या तनख्वाह कम हो सकती है। इसी वजह से उन्होंने 29 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि निजीकरण से उनकी नौकरी पक्की नहीं रहेगी और उन्हें मिलने वाली सुविधाएं भी कम हो सकती हैं। इसलिए वे इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि यह प्रस्ताव वापस लिया जाए।

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सरकार ने बिजली व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपनाया सख्त रुख

सरकार ने साफ कहा है कि बिजली की सप्लाई लगातार चलती रहनी बहुत जरूरी है। इसलिए अगर कोई कर्मचारी हड़ताल करता है, तो उसे बिना जांच के भी नौकरी से निकाला जा सकता है। सरकार ने यह भी तय किया है कि जिस अधिकारी ने किसी कर्मचारी की भर्ती की है, वही अधिकारी उसे सीधा सजा दे सकता है, अगर वह कर्मचारी हड़ताल में शामिल होता है या काम में रुकावट डालता है। इस तरह सरकार ने यह दिखा दिया है कि वह हड़ताल को रोकने के लिए कड़े नियम बना चुकी है। अब देखना यह है कि बिजली कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं या सरकार के इस सख्त रुख के बाद पीछे हटते हैं।

First published on: May 24, 2025 05:48 PM

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