Footwear Abandoned At Ayodhya Ram Temple: अयोध्या नगर निगम पिछले एक महीने से कई तरह की समस्याओं से निपट रहा है। अब समस्या है राम मंदिर में फेंके गए जूते-चप्पलों का निपटारा करने के लिए रोज लगभग लाखों जूते-चप्पल जेसीबी की मदद से इकट्ठा किए जाते हैं। फिर उन्हें ट्रॉलियों में लादकर 4-5 किमी दूर एक जगह पर फेंका जाता है।
बता दें, निकास योजना में बदलाव के कारण लगभग एक महीने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या में राम मंदिर के एंट्री गेट पर अपने जूते-चप्पल छोड़ रहे हैं। नगर निगम पहले ही जूते-चप्पल की करीब 30 ट्रॉलियां हटा चुका है। पहले तीर्थयात्री अपने जूते गेट नंबर 1 पर छोड़ देते थे और लगभग आधा किलोमीटर का चक्कर लगाने के बाद उसी जगह से उन्हें फिर से पहन लेते थे। हालांकि, भीड़ बढ़ने के कारण प्रशासन ने गेट नंबर 3 और अन्य गेट से निकास को पुनर्निर्देशित किया।
एंट्री पॉइंट से अपने जूते वापस लेने के लिए श्रद्धालुओं को अब लगभग 5-6 किलोमीटर चलना पड़ता है, जिसके कारण वे अब अपने जूते छोड़कर नंगे पैर अपने वाहनों या आवासों की ओर बढ़ना पसंद कर रहे हैं। नगर निगम रोजाना जेसीबी मशीनों की मदद से इन छोड़े गए जूते-चप्पलों के ढेर को हटा रहा है और उन्हें ट्रॉलियों में लाद रहा है।
30 दिनों से व्यवस्थाओं में बदलाव
राम मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी अनिल मिश्रा ने बताया कि पिछले 30 दिनों से व्यवस्थाओं में बदलाव किए गए हैं ताकि भक्तों की भीड़ बिना किसी परेशानी के आसानी से दर्शन कर सके। महाकुंभ के 45 दिनों के दौरान अयोध्या में राम मंदिर में 1.25 करोड़ से अधिक भक्तों ने दर्शन किए। श्रद्धालुओं का आना मकर संक्रांति से शुरू हुआ और महा शिवरात्रि तक जारी रहा। 26 जनवरी से लगभग 10 से 12 लाख भक्त शहर में उमड़ पड़े। पहली बार राम लला के मंदिर के दरवाजे दर्शन के लिए उत्सुक भक्तों की लगातार आवाजाही को समायोजित करने के लिए रात 1 बजे तक खुले रहे।
- निकास मार्ग में बदलाव के कारण राम मंदिर के एंट्री गेट पर अपने जूते-चप्पल छोड़ रहे हैं, जिसके कारण वहां भारी मात्रा में जूते-चप्पल जमा हो गए हैं।
- पहले तीर्थयात्री उसी रास्ते से अपने जूते ले सकते थे, लेकिन अब उन्हें वापस आने के लिए 5-6 किमी पैदल चलना पड़ता है, जिससे कई लोग अपने जूते वहीं छोड़ देते हैं।
- नगर निगम लावारिस पड़े जूते-चप्पल हटाने के लिए जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल कर रहा है, अब तक करीब 30 ट्रॉलियां साफ की जा चुकी हैं।
- श्रद्धालुओं की भीड़ को कंट्रोल करने तथा अच्छे से दर्शन करने के लिए निकास व्यवस्था में बदलाव किया गया।
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