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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

SC ने केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब, 25 हजार छात्रों का भविष्य अधर में

Supreme Court Issued Notice: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, यूपी सरकार और यूपी मदरसा एजुकेशन बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह नोटिस यूपी के मदरसों में फाजिल और कामिल की पढ़ाई कर रहे छात्रों की ओर से दायर याचिका पर जारी किया है।

Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Feb 21, 2025 17:26
Supreme Court vs Lokpal Order
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)।

Supreme Court on Madarsa News: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के मदरसों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुके छात्रों को मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों, कॉलेजों या अन्य शैक्षणिक संस्थानों में स्थानांतरित करने या एडजस्ट करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और यूपी मदरसा एजुकेशन बोर्ड को नोटिस जारी किया है। दरअसल, यूपी के मदरसों में फाजिल और कामिल की पढ़ाई कर रहे छात्रों की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह नोटिस जारी किया।

क्या कहा गया है याचिका में?

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि पिछले साल नवंबर में दिए गए फैसले में SC ने यूपी मदरसा एजुकेशन एक्ट को संवैधानिक करार दिया था। लेकिन, फाजिल (पोस्टग्रेजुएट) और कामिल (ग्रेजुएट) डिग्री को यह कहते हुए मान्यता देने से इंकार कर दिया था कि ये यूजीसी एक्ट के मुताबिक नहीं है। इसके चलते अभी फाजिल और कामिल की पढ़ाई कर रहे करीब 25 हजार छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। गौरतलब है कि यूपी में कामिल और फाजिल कोर्स में करीब 25,000 छात्र रजिस्टर्ड हैं। याचिकाकर्ताओं की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार को निर्देश दे कि वो इन छात्रों को ऐसे यूनिवर्सिटी या शैक्षणिक संस्थानों में शिफ्ट करें ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित नहीं हो। बता दें कि इस याचिका को मदरसों में डिग्री प्राप्त करने वाले 10 छात्रों ने दायर किया था।

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क्या है पूरा मामला?

बता दें कि 5 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को नियंत्रित करने वाले 2004 के उत्तर प्रदेश कानून की संवैधानिक वैधता को सही ठहराया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि केवल धर्मनिरपेक्षता के आधार पर किसी कानून को अवैध घोषित नहीं किया जा सकता। इस फैसले के तहत अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस पूर्ववर्ती आदेश को पलट दिया था, जिसमें ऐसे संस्थानों को बंद करने के निर्देश दिए गए थे। भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि किसी कानून को तभी असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है जब वह विधायी अधिकार क्षेत्र से बाहर हो या संविधान के मौलिक अधिकारों अथवा अन्य प्रावधानों का उल्लंघन करता हो।

राज्य सरकार उच्च शिक्षा के मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती: SC

न्यायालय ने संविधान की समवर्ती सूची (सूची III) की प्रविष्टि 25 का हवाला देते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम- 2004 राज्य सरकार के विधायी अधिकार क्षेत्र में आता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि उच्च शिक्षा को नियंत्रित करने वाले इस कानून के कुछ प्रावधान, विशेष रूप से ‘फाजिल’ और ‘कामिल’ डिग्री से जुड़े नियम, राज्य के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं क्योंकि वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत हैं। पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि यूजीसी अधिनियम उच्च शिक्षा के मानकों को नियंत्रित करता है और राज्य सरकार अपने कानूनों के जरिए उच्च शिक्षा के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के कानून के उस हिस्से को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।

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Edited By

News24 हिंदी

First published on: Feb 21, 2025 03:54 PM

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