परवेज अहमद, वरिष्ठ पत्रकार Rajya Sabha Election 2024 : राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन के अंतिम दिन भाजपा ने जोखिमपूर्ण दांव के तहत आठवें प्रत्याशी के रूप में अरबपति बिल्डर संजय सेठ को मैदान में उतार दिया। भाजपा गठबंधन के पास 288 विधायक हैं, जिससे उसके 7 प्रत्याशी आसानी से जीत जाएंगे, लेकिन आठवें प्रत्याशी की जीत के लिये उसे सपा के 6 विधायकों का वोट चाहिए होगा। दूसरी तरफ, सपा गठबंधन के पास 110 वोट हैं, जिससे उसके दो प्रत्याशी जीत जाएंगे। तीसरे प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए उसे सिर्फ दो वोटों की जरूरत है। ये दो वोट वह कैसे मैनेज करेगी, यह बड़ा सवाल है।
जीत सकता है सपा का तीसरा प्रत्याशी
इस चुनाव का तकनीकी पहलू यह भी है कि अगर सपा के विधायक नहीं टूटे तो फिर उपलब्ध वोटों में प्रतिशत के आधार पर सपा का तीसरा प्रत्याशी जीत सकता है। ऐसे में चुनावी रणनीति और भरोसे के आधार पर यूपी कोटे के दसवीं सीट का फैसला होगा। मगर, अगले 10 दिन यूपी में राजनीतिक उथल-पुथल मची रहेगी। सपा और भाजपा अपने-अपने विधायकों को व्हिप जारी करेंगी। हालांकि, वोटिंग ओपन होती है। इसलिए व्हिप का बहुत अधिक प्रभाव नहीं होगा।
कहां से आएंगे आठ वोट?
यूपी कोटे की 10 सीटों के लिए नामांकन के लिए गुरुवार चार बजे तक का समय है। मगर, समय सीमा खत्म होने से तीन घंटे पहले ही भाजपा ने पूर्व राज्यसभा सदस्य संजय सेठ को अचानक अपना आठवां प्रत्याशी बना दिया। हालांकि, कयास पहले से थे कि आठवां प्रत्याशी मैदान में आयेगा, लेकिन भाजपा अपना प्रत्याशी उतारेगी, इसमें संदेह था, क्योंकि विधायकों के वोटों से होने वाले इस चुनाव में आठवां प्रत्याशी जिताने के लिए भाजपा को 8 अतिरिक्त वोटों का इंतजाम करना होगा।
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भाजपा प्रत्याशी की जीत तभी हो सकती है, जब कांग्रेस के दोनों विधायक भाजपा के आठवें प्रत्याशी को वोट दें और सपा के चार विधायक अंतरआत्मा की आवाज पर भाजपा प्रत्याशी को वोट दे दें। इससे भाजपा के छह वोट बढ़ जाएंगे और सपा के छह वोट कम हो जाएंगे, जिससे भाजपा वोटों की संख्या में भारी हो जाएगी और सपा के तीसरे प्रत्याशी की जीत खटाई में पड़ सकती है, लेकिन अगर सपा के विधायक दलीय प्रतिबद्धता में रहे तो फिर भाजपा के आठवें प्रत्याशी को हार का स्वाद चखना होगा।
संजय सेठ के सपा-बसपा और कांग्रेस से हैं करीबी रिश्ते
सत्ता में रहते अधिकृत प्रत्याशी की हार का यूपी में कोई इतिहास अभी नहीं है, लेकिन भाजपा ने आठवें प्रत्याशी के रूप में जिस संजय सेठ को चुनावी मैदान में उतारा है, उनके बसपा, कांग्रेस और सपा तीनों के विधायकों के साथ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष कारोबारी व व्यक्तिगत रिश्ते हैं। ऐसे में कांग्रेस के दो और बसपा का एक विधायक संजय सेठ को वोट कर दे तो अचरज नहीं होगा।
संजय सेठ के पक्ष में वोटिंग कर सकते हैं सपा विधायक
यही नहीं, संजय सेठ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भी रहे हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादवऔर उनके परिजनों से उनके व्यक्तिगत रिश्ते हैं। ऐसे में अगर सपा के कुछ विधायक उन्हें वोट कर दें तो चौंकाने वाली बात नहीं होगी। वैसे भी आरोप तो यह भी लग रहा है कि समाजवादी पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। उसके विधायकों में असंतोष है, मगर यह किस स्तर पर है, यह 25 फरवरी को ही साफ हो सकेगा। इतना तय है कि भाजपा ने आठवां अधिकृत प्रत्याशी उताकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। आने वाले दिनों में राजनीति का चाणक्य कौन साबित होता है, यह भी देखना होगा।
भाजपा समर्थित दल
भाजपा-252
अपना दल (सोनेलाल)-13
राष्ट्रीय लोकदल- 09
निर्बल शोषित दल-06
सुहेलदेव समाज पार्टी- 06 ( एक जेल में, अब्बास अंसारी)
जनसत्ता दल-02
बसपा-01
सपा समर्थित दल
सपा- 108 ( दो जेल में, इरफान सोलंकी, रमाकांत यादव)