विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ करने के बाद समाजवादी पार्टी ने पूजा पाल को पार्टी से बाहर कर दिया। इसके बाद पूजा पाल समाजवादी पार्टी पर हमलावर हैं और इसी बीच उन्होंने सीएम योगी से मुलाकात भी की है। चर्चा है कि जल्द ही पूजा पाल को सरकार में कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।
पूजा पाल ने दी सफाई
समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद सोशल मीडिया पर पूजा पाल पर निजी हमले शुरू हो गए। इस पर पूजा पाल ने पोस्ट लिखकर अपनी सफाई दी है। उन्होंने लिखा कि कुछ लोग हमेशा मेरे निजी जीवन पर टिप्पणी करते हैं। मुझे कोई दिक्कत नहीं, लेकिन ये लोग सही बातें लिखें क्योंकि मैंने इनकी ही पार्टी से चुनाव लड़ा था। उनके मुखिया को सब पता है कि सन 2017 में मैं चुनाव हारी और यह मौका देखते हुए अतीक और मेरे मायके के रिश्तेदार, जो विधायक का चुनाव लड़ना चाहते थे, चाहते थे कि मैं अब एकदम पीछे चली जाऊं, मेरा राजनीतिक करियर ही समाप्त हो जाए।
‘मैं अपने इस इरादे से डिगी नहीं’- पूजा पाल
उन्होंने लिखा कि मैं राजू पाल का मुकदमा न लड़ पाऊं, इसके लिए मेरे साथ एक षड्यंत्र अतीक अहमद के द्वारा किया गया, जिसमें मेरे खुद के परिवार के लोग सम्मिलित थे। मेरे ही परिवार के भाई ने कहा कि आप विवाह कर लीजिए, हम आपके साथ हैं और जब विवाह हो भी गया तो शादी के कुछ दिनों बाद सच्चाई का पता चला, क्योंकि यही लोग फिर कहीं बैठकर यह बातें कर रहे थे कि अब अतीक के खिलाफ मुकदमा खत्म हो जाएगा। लेकिन मैं अपने इस इरादे से डिगी नहीं।
पूजा पाल ने लिखा कि जब मुझे पता चला कि ये लोग सच में मेरे साथ एक षड्यंत्र रच रहे हैं, तब मैंने इसका विरोध किया। इसके बाद मैंने जांच की तो मुझे सच पता चला। इसके बाद मैंने कोर्ट के माध्यम से अपने विवाह के अलगाव के लिए अर्जी भी दी। अब जब मैंने भरी विधानसभा में सच बोल दिया, तब सब कुछ पता होने के बावजूद भी चिढ़ और प्रतिशोध में सिर्फ और सिर्फ मेरी छवि कैसे धूमिल की जाए, इसके लिए षड्यंत्र कर रहे हैं और मेरे निजी जीवन के बारे में लिख रहे हैं।
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एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा कि 25 जनवरी, गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले का वह दिन जब लोकतंत्र खून से लथपथ हो गया, मेरे पति स्वर्गीय राजू पाल की हत्या कर दी गई। 9 गोलियां उनके शरीर को चीर गईं। उन्हें जनता ने जिताया था। साथ में ड्राइवर देवी दयाल और संदीप यादव की भी जान गई। मैंने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पर FIR दर्ज कराई, लेकिन सत्ता की पकड़ मजबूत थी, तो जांच टलती रही। गवाहों को डराया जाने लगा। सबूत गायब होने लगे। राजनीति खामोश रही लेकिन एक पत्नी का भरोसा और दृढ़ संकल्प बढ़ता रहा कि “मेरा पति वापस नहीं आएगा, पर इंसाफ जरूर मिलेगा।” न्याय की उम्मीद में 19 साल तक हर तारीख पर गई। कभी अकेली, कभी आंसुओं के साथ, कभी धमकियां, कभी ताने, लेकिन मैं न टूटी और न ही मेरे इरादे।