हमारे देश की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद है, जो सदियों से स्वस्थ जीवन का मार्गदर्शन कर रही है। लेकिन मॉडर्न वर्ल्ड में बदलती जीवनशैली और औद्योगिक चिकित्सा पद्धतियों के कारण आयुर्वेद का महत्व कुछ हद तक कम होता देखा जा रहा था। ऐसे समय में पतंजलि योगपीठ ने आयुर्वेद के संरक्षण और आधुनिकीकरण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि ने आयुर्वेद को पुनर्जीवित किया और इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विकसित किया। आयुर्वेद हमारे देश में सालों से मौजूद है, जो ऋषि-मुनियों द्वारा भी अपनाया गया था। आयुर्वेद जड़ी-बूटियों, भारतीय मसालों और कई अन्य पौधों द्वारा प्राप्त किए गए उपचार के तरीके हैं। पतंजलि ने देश में ही नहीं बल्कि विश्वभर में आयुर्वेद को जिंदा रखने के लिए कड़े परिश्रम किए। सही ब्रांडिंग, अन्य देशों में आयात-निर्यात की व्यवस्था और हर बीमारी के लिए दवा और उत्पाद प्रदान करवाए हैं।
आयुर्वेद के संरक्षण में पतंजलि की भूमिका
1. प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन और अनुसंधान
पतंजलि ने आयुर्वेद के पुराने ग्रंथों जैसे कि चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदयम् का अध्ययन कर, उनकी विधियों को आधुनिक चिकित्सा के साथ जोड़ा है। जड़ी-बूटियों के पारंपरिक उपयोग को वैज्ञानिक शोधों के आधार पर प्रमाणित भी किया ताकि विश्वसनीयता बढ़े।
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2. औषधीय पौधों का संरक्षण
पतंजलि ने हरिद्वार और अन्य स्थानों पर औषधीय पौधों के संरक्षण के लिए विशाल जैविक उद्यान भी स्थापित किए हैं, जहां पर आयुर्वेदिक उत्पादों को लंबे समय तक लोगों की सेवा के लिए उपलब्ध करवाया जा सके। इनमें दुर्लभ जड़ी-बूटियों की खेती पर भी जोर दिया गया।
3. योग और आयुर्वेद का प्रसार
स्वामी रामदेव ने योग शिविरों और टेलीविजन कार्यक्रमों के साथ-साथ सोशल मीडिया के माध्यम से आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का प्रचार-प्रसार दुनियाभर में किया है। बाबा रामदेव ने पतंजलि के माध्यम से लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा अपनाने के लिए भी प्रेरित किया, जिससे आयुर्वेद को एक नया जीवन मिला।
आयुर्वेद के आधुनिकीकरण में पतंजलि की भूमिका
पतंजलि ने वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान स्थापित किए हैं जहां आयुर्वेदिक औषधियों का मॉडर्न तरीकों से परीक्षण किया जाता है। हर्बल दवाओं और आयुर्वेदिक उपचारों को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित करने के लिए नियमित रूप से शोध किए जाते हैं। आयुर्वेदिक उत्पादों का वैश्विक स्तर पर विस्तार करने के लिए आधुनिक पैकेजिंग और गुणवत्ता के प्रमाण वाले प्रतीक चिन्ह (LOGO) के साथ उपभोक्ताओं को प्रोडक्ट्स प्रोवाइड करवाए गए। आयुर्वेद और एलोपैथी के बीच तालमेल बैठाने के लिए भी पतंजलि ने इंटीग्रेटिव मेडिसिन को बढ़ावा दिया है।
क्यों खास है पतंजलि की भूमिका?
पतंजलि ने आयुर्वेद को आधुनिक वैज्ञानिक योजना में ढालकर न केवल इसे संरक्षित किया बल्कि इसे एक नई ऊंचाइयों तक भी पहुंचाया है। आयुर्वेदिक औषधियों का वैज्ञानिक परीक्षण, पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का प्रचार, और वैश्विक स्तर पर हर्बल उत्पादों को बढ़ावा देकर पतंजलि ने आयुर्वेद को एक नई पहचान दी है। आने वाले वर्षों में, यह प्रयास आयुर्वेद को और अधिक लोकप्रिय और प्रभावी बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
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