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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ता कदम, पतंजलि की बड़ी भूमिका

जब भी हम "स्वदेशी" और "आत्मनिर्भर भारत" की बात करते हैं, तो सबसे पहले पतंजलि का नाम दिमाग में आता है। योग, आयुर्वेद और देसी प्रोडक्ट को अपनाकर पतंजलि ने न सिर्फ बाजार में अपनी जगह बनाई है, बल्कि एक नई सोच और आंदोलन की शुरुआत भी की है।

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: Apr 25, 2025 13:29
Patanjali
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भारत में जब भी स्वदेशी और आत्मनिर्भरता की बात होती है, तो पतंजलि का नाम सबसे पहले आता है। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में शुरू हुई यह कंपनी आज करोड़ों लोगों की पसंद बन चुकी है। आयुर्वेद, योग और नेचुरल प्रोडक्ट को बढ़ावा देने वाली पतंजलि न सिर्फ एक ब्रांड है बल्कि एक आंदोलन बन चुकी है। यह कंपनी देश में बने प्रोडक्ट को अपनाने की प्रेरणा देती है और विदेशी वस्तुओं की जगह देसी ऑप्शन को आगे लाती है। पतंजलि का यह सफर भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ी और मजबूत पहल है।

छोटे ब्रांड से बड़ी कंपनी तक

पतंजलि आयुर्वेद, बाबा रामदेव के नेतृत्व में एक छोटे से आयुर्वेदिक ब्रांड से भारत की बड़ी कंपनियों में शामिल हो गया है। यह कंपनी न केवल फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) के क्षेत्र में बदलाव लाई है बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रही है। पतंजलि की सबसे बड़ी खासियत है इसका स्वदेशी आंदोलन के प्रति समर्पण। यह कंपनी देश में बनी चीजों को बढ़ावा देती है, जिससे भारत की आयात पर निर्भरता कम होती है और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलता है।

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घरेलू प्रोडक्ट को बढ़ावा और आत्मनिर्भर भारत की दिशा

पतंजलि का घरेलू चीजें बनाने पर जोर देना खेती, दुकानदारी और माल ढुलाई जैसे क्षेत्रों पर अच्छा असर डालता है। यह भारत को आत्मनिर्भर (अपने पैरों पर खड़ा) बनाने के सपने से जुड़ा है। इसका मतलब है कि देश के अपने संसाधनों का पूरा इस्तेमाल हो और देश में बनने वाली चीजों को बढ़ावा मिले। पतंजलि खासकर हेल्थ, खाना और रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी चीजों में विदेश से सामान मंगाने की जरूरत कम कर रहा है। इसके ज्यादातर प्रोडक्ट्स भारतीय किसानों से मिलने वाली चीजों से बनते हैं। इससे खेती और गांवों की अर्थव्यवस्था को फायदा होता है और लोगों को रोजगार भी मिलता है।

गांवों में रोजगार और खेती को नई ताकत

पतंजलि छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) को भी बढ़ावा देता है। यह कंपनी स्थानीय किसानों, छोटे उत्पादकों और व्यवसायियों से सीधे जुड़ती है और उन्हें बाजार मुहैया कराती है। इससे ग्रामीण भारत में रोजगार बढ़ता है और लोगों की आमदनी में सुधार होता है। देशी खेती की तकनीकों को बढ़ावा देकर पतंजलि न केवल परंपरागत ज्ञान को पुनर्जीवित कर रहा है, बल्कि ग्रामीण विकास में भी योगदान दे रहा है।

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शहरों में रोजगार और नई सोच को बढ़ावा

शहरी भारत में भी पतंजलि का निवेश कई रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है। इसके साथ-साथ यह नई कंपनियों और उद्यमियों को प्रेरित कर रहा है कि वे भी देशी विचारों और संसाधनों के साथ आगे आएं। पतंजलि का बिजनेस मॉडल आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक टेक्नोलॉजी और रणनीति के साथ जोड़ता है। कुल मिलाकर पतंजलि न केवल एक कंपनी है बल्कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की एक मजबूत कड़ी है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर, सशक्त और स्वदेशी बना रही है।

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Edited By

Ashutosh Ojha

First published on: Apr 25, 2025 12:30 PM

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