जब भी हम पतंजलि का नाम सुनते हैं तो हमारे दिमाग में आयुर्वेद, स्वदेशी और देशभक्ति जैसे शब्द आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पतंजलि सिर्फ एक आयुर्वेदिक कंपनी नहीं, बल्कि यह भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाला एक बड़ा आंदोलन बन चुका है? स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि ने ना सिर्फ विदेशी ब्रांड्स को चुनौती दी है, बल्कि गांव-गांव तक रोजगार और आत्मनिर्भरता की रोशनी पहुंचाई है। छोटे उद्योगों से लेकर किसानों तक, पतंजलि हर कदम पर देश के लोगों को साथ लेकर आगे बढ़ रही है।
स्वदेशी उत्पादों से देश की इकोनॉमी को मजबूती
देश की जानी-मानी FMCG कंपनी पतंजलि न सिर्फ हर्बल और आयुर्वेदिक प्रोडक्ट के लिए मशहूर है, बल्कि यह कंपनी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए भी लगातार काम कर रही है। पतंजलि ने अपने बिजनेस मॉडल, प्राइसिंग पॉलिसी और स्वदेशी उत्पादों के जरिए लोकल मैन्युफैक्चरिंग, MSME और एंटरप्रेन्योरशिप को नया जीवन दिया है। स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि ने न सिर्फ विदेशी कंपनियों का मुकाबला किया, बल्कि भारतीय उपभोक्ताओं को किफायती और प्राकृतिक ऑप्शन भी दिए। इससे न केवल आयात पर निर्भरता कम हुई, बल्कि देश के व्यापार संतुलन में भी सुधार आया।
गांवों में रोजगार और किसानों को मिला सहारा
पतंजलि का सबसे बड़ा योगदान आत्मनिर्भर भारत मिशन में देखा गया है। यह कंपनी किसानों से सीधे कच्चा माल खरीदकर ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देती है और उन्हें उचित मूल्य भी देती है। इससे ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं और लोगों का पलायन भी कम हुआ है। मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स सप्लाई चेन और रिटेल नेटवर्क में लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। पतंजलि ने अब तक 2 लाख से अधिक लोगों को काम देने का दावा किया है। इसके अलावा इस कंपनी की सफलता ने कई छोटे भारतीय ब्रांड्स और स्टार्टअप्स को भी हर्बल व आयुर्वेदिक सेक्टर में उतरने के लिए प्रेरित किया है।
छोटे उद्योगों और स्टार्टअप्स को दिया बड़ा प्लेटफॉर्म
MSME सेक्टर की बात करें तो पतंजलि ने कई छोटे और मध्यम उद्यमों के साथ साझेदारी करके उन्हें बड़ा प्लेटफॉर्म दिया है। इससे लोकल उद्यमियों को न केवल बाजार मिला, बल्कि तकनीकी मदद, ब्रांड सहयोग और डिस्ट्रीब्यूशन का भी सपोर्ट मिला। पतंजलि का यह मॉडल ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को सीधा सपोर्ट करता है। इसके साथ ही कंपनी 30 से ज्यादा देशों में अपने प्रोडक्ट का निर्यात कर रही है, जिससे भारत की वैश्विक पहचान और सॉफ्ट पावर में भी इजाफा हो रहा है।
मुनाफे से आगे सोचती है पतंजलि
पतंजलि केवल मुनाफे पर ध्यान नहीं देती, बल्कि वह अपने प्रॉफिट का बड़ा हिस्सा शिक्षा, हेल्थकेयर और रिसर्च में निवेश करती है। इस दृष्टिकोण से यह एक सामाजिक रूप से जिम्मेदार कंपनी भी है। पारंपरिक प्रॉफिट-ड्रिवन कंपनियों के विपरीत, पतंजलि का उद्देश्य समाज और देश को मजबूत बनाना है। लोकल एंटरप्रेन्योरशिप, स्वदेशी प्रोडक्ट और MSME को सहयोग देकर पतंजलि ने भारतीय अर्थव्यवस्था को जमीनी स्तर से मजबूत करने का काम किया है। इस तरह पतंजलि केवल एक कंपनी नहीं, बल्कि एक आर्थिक आंदोलन बन चुकी है।