दिलीप शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ‘बुल्डोज़र बाबा’ के नाम से जाने जाते हैं। राज्य में माफिया, अपराधियों के मकान बुल्डोजर से गिराए जाते हैं। इसका अनुकरण मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी किया है। मध्य प्रदेश में भी माफियाओं के मकानों पर बुल्डोजर कार्रवाई होने लगी है। मकान पर प्राधिकरण से नक्शा न पास करवाने और नक्शा पास कराकर अवैध निर्माण कराकर गिराया जाता है। प्राधिकरण से मंजूरी के बाद प्राधिकरण से गिरवाया जाता है। इस दृष्टि से यह कदम उचित प्रतीत होता है। कानून के अनुसार, यह कदम एकदम अनुचित है।
गौरतलब है कि माफिया, बड़े अपराधियों के माकन गिराए नहीं जाते हैं। सीआरपीसी और आईपीएस में इसका प्रावधान नहीं है। इसमें एफआईआर दर्ज होती है, चार्जशीट लगती है। गिरफ्तारी और जमानत होती है। न्यायालय में मुकदमा चलता है। बादी पक्ष आरोप लगाते हैं। प्रतिबादी पक्ष बचाव करते हैं। न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है। इसमें सजा होती है और छूट जाता है।
मुख्यमंत्री योगी ने माफिया अतीक अहमद, माफिया मुख्तार अंसारी और उसके साथियों के मकान गिराने में अपार लोकप्रियता अर्जित की है। उत्तर प्रदेश की 2022 विधानसभा चुनाव में मिली जीत इसी लोकप्रियता का परिणाम है।
भारतीय जनता पार्टी की कई प्रांतों में सरकारें हैं, जो इसी का अनुकरण करती हैं। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की मूक सहमति रहती है। संघ मकान गिराने का सार्वजनिक रूप से समर्थन नहीं करता है। अखबार, टीवी और न्यूज चैनलों में खबर को प्रवक्ता न तो नकारते हैं, ना ही इस पर प्रतिक्रिया देते हैं। मूक सहमति प्रतीत होती है। संघ की अनुमति लेना योगी आदित्यनाथ की जरूरी है। इसे दूसरे अर्थों में कह सकते ‘मजबूरी’ हैं। संघ सह सरकार्यवाह (सह महासचिव) प्रांत संगठन मंत्री इसकी हरी झंडी दिखाते हैं।