Jagadguru Swami Rambhadracharya Statement On Mohan Bhagwat : देश में एक बार फिर मंदिर मस्जिद का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के हिंदू नेता बनने वाले बयान पर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने विरोध जताया है। उन्होंने संभल के जामा मस्जिद विवाद को लेकर कहा कि हम अतीत लेकर रहेंगे।
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि प्रयागराज में महाकुंभ की बहुत अच्छी तैयारी चल रही है। मेरा पहला शाही स्नान होगा। 13 को शाही स्नान है और 14 जनवरी को मेरा जन्मदिन है। उन्होंने हिंदुओं से एक होने की अपील की। मेरा मानना है कि चारों तरफ से हिंदुओं पर संकट है, बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है। अगर हिंदू एक हो जाएगा तो कोई आपको दबा नहीं सकता है।
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हम अतीत लेकर रहेंगे : रामभद्राचार्य
उन्होंने आगे कहा कि संभल में मंदिर होने के सबूत मिले हैं, अतीत लेकर रहेंगे। जहां-जहां मंदिर के प्रमाण मिल रहे हैं, वो हमें चाहिए। स्वामी रामभद्राचार्य ने मोहन भागवत पर कहा कि हिंदुओं के नेता बनने वाला उनका बयान विवाद खड़ा करने वाला है। यह उनका व्यक्तिगत बयान हो सकता है, लेकिन बहुत ही अनुचित है। आरएसएस चीफ को यह जान लेना चाहिए कि वो हमारे अनुशासक नहीं हैं, हम उनके अनुशासक हैं।
संतों ने संघ को बनाया : जगद्गुरु
जगद्गुरु ने आगे कहा कि संतों ने संघ को बनाया है। संघ संतों पर अनुशासन नहीं कर सकता है। वे धर्म के बारे में हमसे ज्यादा नहीं जानते हैं। अधिकार खोकर बैठे रहना यह महादुष्कर्म है। उन्होंने कहा कि भाईचारे का संदेश तो दे रहे हैं, लेकिन वे (भागवत) इसकी व्याख्या नहीं समझ पा रहे हैं। वे तुष्टिकरण से प्रभावित हैं। भाईचारा का मतलब है- ‘आप स्वयं भी रहिए और हमको भी रहने दीजिए। आप अपने धर्म का पालन करें हमको भी तो अपने धर्म का पालन करने दें, हम सब सहते रहें क्या?’
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‘याचना नहीं अब रण होगा’
उन्होंने मस्जिद के नीचे मंदिर के चिह्न ढूंढने को लेकर मोहन भागवत के बयान पर कहा कि ऐसा कुछ नहीं होगा। अतीत हमको चाहिए। हमने तो उनकी मस्जिद नहीं तोड़ी। कब तक हम सहते रहेंगे। याचना नहीं अब रण होगा, संग्राम बड़ा भीषण होगा। हम हिंदुओं को एक होना ही पड़ेगा। हम उनकी मस्जिद को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं, लेकिन जो हमारे मंदिरों को तोड़कर बनाए गए हैं, वह हम लेकर रहेंगे। बांग्लादेश की सरकार को कड़ा संदेश देना चाहिए।