Holi 2023: होली (Holi 2023) का त्योहार आते ही पूरे देश में इसे मनाने के अलग-अलग तरीके और कहानियां भी सामने आती हैं। ब्रज में लड्डुओं और लठामार होली होती है तो वहीं बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी में भी होली का एक ही महत्व और मनानी की परंपरा है।
वाराणसी में वैसे तो फाल्गुन माह में होली के कई कार्यक्रम होते हैं। इसी क्रम में मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat) पर भस्म से होली खेलने के लिए बड़ी संख्या में लोग जमा हो रहे हैं। प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख से होली खेलने की इस परंपरा को ‘मसान होली’ (Masaan Holi) कहा जाता है।
सैकड़ों की संख्या में मणिकर्णिका घाट पहुंचे लोग
समाचार न्यूज एजेंसी एएनआई की ओर से मणिकर्णिका घाट से चिता भस्म की इस होली का एक वीडियो जारी किया गया है। 16 सेकंड की वीडियो क्लिप में सैकड़ों लोग घाट पर मसान होली खेलते नजर आ रहे हैं। साथ ही भोले के भक्त बड़े-बड़े डमरू लेकर होली की मस्ती में मस्त हैं। इस दौरान भोलेनाथ के जयकारों से भी पूरा वारावरण गुंजाएमान हो गया।
UP: Holi celebration with ash at Manikarnika Ghat in Varanasi (04/03) pic.twitter.com/biCKeZu3gF
---विज्ञापन---— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 5, 2023
मसान नाथ मंदिर में चढ़ाई भस्म, की पूजा
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि घाटों पर शिव भक्तों द्वारा चिताओं की राख से होली खेली और मनाई जाती है। शिव भक्त डमरू की गूंज सुनते हुए मणिकर्णिका घाट स्थित मसान नाथ मंदिर में भगवान शिव को भस्म चढ़ाते हैं और फिर पूजा करते हैं। इस दौरान लोग आपस में भी रंगों के बजाए भस्म से ही होली खेलते हैं।
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इनके साथ होली खलते हैं भोले नाथ
बताया जाता है कि चिता भस्म भगवान शिव को बहुत प्रिय है। मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव रंगभरनी एकादशी के दूसरे दिन अपने सभी गणों (भूत, प्रेत, नंदी आदि) और भक्तों के साथ रंग स्वरूप भस्म से होली खेलने के लिए मणिकर्णिका घाट पर जाते हैं।
इस घाट की ये कहानी है प्रचलित
कई लोगों का मत है कि देवी पार्वती और भगवान शिव ने रंगभरनी एकादशी के दिन अन्य सभी देवी-देवताओं के साथ विवाह के बाद होली खेली थी। इस पर्व में भगवान शिव के इष्ट भूतों, पिशाचों, निशाचर और अदृश्य शक्तियों की अनुपस्थिति के कारण भगवान शिव उनके साथ होली खेलने के लिए अगले दिन मसान घाट पर लौट आते हैं।