Noida Authority: नोएडा अथॉरिटी से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। ED ने नोएडा अथॉरिटी के पूर्व सीईओ और IAS अधिकारी संजीव सरन को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है। बताया जा रहा है कि हैसिंडा प्रोजेक्ट से जुड़े करोड़ों रुपये के भूमि घोटाले में IAS अधिकारी संजीव सरन का नाम भी सामने आया है। Enforcement Directorate (ED) ने इससे पहले, इसी मामले में पूर्व IAS अधिकारी रमारमण से 8 घंटे तक पूछताछ की गई थी।
बीएसपी के कार्यकाल में हुआ घोटाला
बताया जा रहा है कि बहुजन समाज पार्टी के शासन के दौरान, नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन सीईओ मोहिंदर सिंह के कार्यकाल में हैसिंडा प्रोजेक्ट प्रा. लि. को लगभग 36,000 वर्ग मीटर भूमि टाउनशिप विकसित करने के लिए आवंटित की गई थी। जिसके बाद कंपनी ने निवेशकों की राशि हड़पने के साथ-साथ भूमि का बड़ा हिस्सा प्रतीक ग्रुप को बेच दिया, बिना अथॉरिटी की अनुमति लिए और बिना निर्धारित भुगतान किए।
एक साल से अधिकारियों से हो रही पूछताछ
बताया जा रहा है कि पिछले वर्ष (2024) ED ने हैसिंडा ग्रुप के ठिकानों पर छापेमारी कर महत्वपूर्ण दस्तावेज और साक्ष्य जुटाए थे। इसके बाद से पूर्व अधिकारियों से पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ। इस मामले में कई अधिकारियों से पूछताछ हो चुकी है। जबकि कई अधिकारियों से नंबर बारी पूछताछ की जा रही है।
संजीव सरन की भूमिका
संजीव सरन ने 15 सितंबर 2005 से 16 मई 2007 और 4 मई 2012 से 21 जनवरी 2013 तक नोएडा अथॉरिटी के सीईओ के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान भूमि आवंटन में हुई अनियमितताओं के कारण उन्हें जांच के दायरे में लाया गया है। इससे पहले, 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संजीव सरन और तत्कालीन चेयरमैन राकेश बहादुर को नोएडा अथॉरिटी से हटाने का आदेश दिया था, जब 2005-07 के बीच होटल प्लॉट आवंटन में 4,721 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ था।
मोहिंदर सिंह और रमारमण भी शामिल
ED की छापेमारी के दौरान, पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित आवास से 1 करोड़ रुपये नकद, 12 करोड़ रुपये के हीरे, 7 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण और कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए गए थे। पूर्व IAS अधिकारी रमारमण ने अग्रिम जमानत के लिए विशेष अदालत में याचिका दायर की थी, जिसका ईडी ने विरोध किया।
मनी लॉन्ड्रिंग के तहत हो रही जांच
ED अब इस मामले में संजीव सरन को भी पूछताछ के लिए तलब किया गया है, और उन्हें जल्द ही दोबारा बुलाए जाने की संभावना है। यह मामला नोएडा अथॉरिटी के पूर्व अधिकारियों द्वारा बिल्डर्स को अनुचित लाभ पहुंचाने और सरकारी भूमि के दुरुपयोग से संबंधित है, जिसकी जांच ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के तहत की जा रही है।