Dhananjay Singh: जौनपुर जिले के बाहुबली सांसद धनंजय सिंह को अपहरण और रंगदारी मांगने के मामले में सात वर्ष की सजा होने के बाद जिले की राजनीति गरमाई हुई है। धनंजय सिंह के समर्थक इसे सत्ता दल की साजिश मान रहे हैं, उधर बीजेपी के लोग इसे न्यायालय का मामला बता रहे है। फिलहाल आगामी लोकसभा चुनाव में इसका बीजेपी प्रत्याशी पर कितना असर होगा यह चुनाव परिणाम के बाद ही पता चल पाएगा।
बीएसपी से चुनाव लड़ा और विजयी रहे
आपको बता दें कि 2002 विधानसभा चुनाव से धनंजय सिंह के राजनीति में प्रवेश करने से जहां तरारी विधानसभा के दो चुनाव में सपा को नुकसान हुआ तो वहीं इस सीट पर बीजेपी के मतों में गिरावट दर्ज की थी। 2009 लोकसभा चुनाव में जौनपुर सीट पर धनंजय सिंह ने बीएसपी से चुनाव लड़ा और विजयी रहे। इसके बाद वह जेल चले गए थे। 2012 विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह ने मल्हनी सीट पर अपनी पत्नी डॉ जागृति सिंह को मैदान में उतार दिया। लेकिन वह सपा प्रत्याशी पारसनाथ यादव से 30 से अधिक मतों से हार गई थीं।
2019 में नहीं लड़ा चुनाव
2014 में धनंजय सिंह ने जेल से लोकसभा चुनाव लड़ा। लेकिन वह बीजेपी के केपी सिंह से हार गए। 2017 विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह एक बार फिर मल्हनी से चुनाव लड़े थे लेकिन सपा प्रत्याशी पारसनाथ यादव से चुनाव हार गए। 2019 लोकसभा चुनाव में सपा बसपा गठबंधन और मोदी लहर को देखते हुए धनंजय सिंह चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया।फिर 2020 उपचुनाव और 2022 विधानसभा चुनाव में धनंजय मल्हनी विधानसभा से फिर चुनाव लड़े थे। लेकिन दोनों ही चुनावों में वह सपा के लकी यादव से हार गए थे।
सजा ने बदला समीकरण
बता दें लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने के लिए धनंजय सिंह ने पूरी तैयारी कर ली थी। टिकट के लिए वह सपा, बसपा और कांग्रेस के नेताओं से संपर्क में थे। लेकिन इस बीच अपहरण और रंगदारी के मामले में कोर्ट ने उन्हें 7 वर्ष की सजा सुनाई है। जिसके बाद उनके समर्थकों में रोष है। उनकी पत्नी और जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकला धनंजय सिंह ने सोशल मीडिया पर कार्यकर्ताओं को संयम बरते की अपील की है।
इनपुट-नितिश कुमार