30 अप्रैल, अक्षय तृतीया के मौके पर उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की शुरुआत हो गई है। यात्रा के दौरान चारों धामों में दर्शन किए जाते हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर ही खुल गए थे, जबकि, केदारनाथ के कपाट 2 मई 2025 को खोल दिए गए। अब इस यात्रा का चौथा पड़ाव यानी बद्रीनाथ धाम है, जिसके कपाट आज 4 मई को खोल दिए गए हैं। अगर आप भी चारों धाम की यात्रा करना चाहते हैं, तो आपके लिए सरकार ने आधिकारिक साइट पर पूरी जानकारी उपलब्ध कराई है, जिसे फॉलो करते हुए श्रद्धालु आसानी से बद्रीनाथ तक पहुंच सकते हैं।
प्लेन से सफर
जॉली ग्रांट हवाई अड्डा (देहरादून से 35 किलोमीटर) बद्रीनाथ का सबसे पास पड़ने वाला एयरपोर्ट है, जिसकी दूरी 314 किलोमीटर है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट के लिए दिल्ली से रोज उड़ानें हैं। बद्रीनाथ जॉली ग्रांट एयरपोर्ट की सड़कों से अच्छी कनेक्टिविटी है। एयरपोर्ट से बद्रीनाथ के लिए टैक्सियां आसानी से मिल जाती हैं।
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ट्रेन से सफर
जो यात्री प्लेन से सफर नहीं कर सकते हैं, वह ट्रेन से सफर कर सकते हैं। बद्रीनाथ मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पास का रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन NH58 पर बद्रीनाथ से 295 किलोमीटर पहले बना है। यहां से सड़क मार्ग के जरिए बद्रीनाथ पहुंच सकते हैं। दरअसल, बद्रीनाथ तक पहुंचने के लिए सड़क के जरिए ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, चमोली, जोशीमठ और कई दूसरी जगहों से टैक्सी और बसें मिल जाएंगी।
सड़क मार्ग से सफर
कुछ श्रद्धालु ऐसे भी होते हैं, जो अपनी गाड़ी से सफर करना पसंद करते हैं। उनकी गाड़ियों के लिए चारों धाम में पार्किंग की सुविधा भी दी गई है। बद्रीनाथ उत्तराखंड राज्य के कई जगहों से सड़कों से सीधा जुड़ा हुआ है। इसके लिए ISBT कश्मीरी गेट नई दिल्ली से हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर के लिए बसों में सफर कर सकते हैं। इसके अलावा, देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, उखीमठ, श्रीनगर, चमोली जैसी जगहों से बद्रीनाथ के लिए बसें और टैक्सियां बुक कर सकते हैं। बद्रीनाथ नेशनल हाइवे 58 के जरिए गाजियाबाद से भी जुड़ा हुआ है।
केदारनाथ से बद्रीनाथ कैसे पहुंचे?
केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी 247 किमी है, जिसमें केदारनाथ- (14 किमी ट्रेक) गौरीकुंड- (5 किमी) सोनप्रयाग- (4 किमी) रामपुर- (9 किमी) फाटा- (14 किमी) गुप्तकाशी- (7 किमी) कुंड- (19 किमी) अगस्त्यमुनि- (8 किमी) तिलवाड़ा- (8 किमी) रुद्रप्रयाग- (20 किमी) गौचर- (12 किमी) कर्णप्रयाग- (20 किमी) नंदप्रयाग- (11 किमी) चमोली- (8 किमी) बिरही- (9 किमी) पीपलकोटी – (5 किमी) गरूर गंगा- (15 किमी) हेलंग- (14 किमी) जोशीमठ- (13 किमी) विष्णुप्रयाग- (8 किमी) गोविंदघाट- (3 किमी) पांडुकेश्वर- (10 किमी) हनुमानचट्टी- (11 किमी) बद्रीनाथ पहुंच जाएंगे।
बद्रीनाथ धाम के बारे में
बद्रीनाथ भगवान विष्णु के 108 दिव्य देशम अवतारों में से एक वैष्णवों के लिए पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है। बद्रीनाथ शहर बद्रीनाथ मंदिर के साथ-साथ योग ध्यान बद्री, भविष्य बद्री, आदि बद्री और वृद्ध बद्री सहित पंच बद्री मंदिरों का भी एक हिस्सा है। बद्रीनाथ मंदिर का मुख्य प्रवेश बहुत भव्य और कई रंगों से भरा है, इसे लोग सिंहद्वार के नाम से भी जानते हैं। यह मंदिर लगभग 50 फीट ऊंचा है, जिसके ऊपर एक छोटा गुंबद है, जो सोने की परत वाली छत से ढका है।
बद्रीनाथ मंदिर तीन भागों में बंटा है, (A) गर्भगृह या गर्भगृह, (B) दर्शन मंडप जहां अनुष्ठान किए जाते हैं और (C) सभा मंडप जहां श्रद्धालु जमा होते हैं। बदरीनाथ मंदिर के गेट पर, भगवान की मुख्य मूर्ति के ठीक सामने, भगवान बदरीनारायण के वाहन/वाहक पक्षी गरुड़ की मूर्ति है। इसमें गरुड़ को बैठे हुए और हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए देखा जा सकता है। मंडप की दीवारें और खंभे जटिल नक्काशी से बने हैं, जो खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।
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