---विज्ञापन---

‘Adipurush फिल्म को पास करना ब्लंडर…’, इलाहाबाद हाईकोर्ट बोला- ‘कुरान पर ऐसी डॉक्यूमेंट्री बनाते तब देखते क्या होता’

Adipurush: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फिल्म आदिपुरुष के आपत्तिजनक डायलॉग और दृश्यों को चुनौती देने वाली दो जनहित याचिकाओं में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने पास कैसे कर दिया। फिल्म को पास करना […]

Edited By : Bhola Sharma | Updated: Jun 28, 2023 21:36
Share :
Adipurush update, Adipurush dialogues, Adipurush controversy, Adipurush news, Adipurush makers to revise dialogues, prabhas film, om raut, kriti sanon
Adipurush

Adipurush: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फिल्म आदिपुरुष के आपत्तिजनक डायलॉग और दृश्यों को चुनौती देने वाली दो जनहित याचिकाओं में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने पास कैसे कर दिया। फिल्म को पास करना एक ब्लंडर है। अगर आप कुरान और बाइबिल पर एक छोटी डॉक्यूमेंट्री बनाकर देखिए, जिसमें गलत फैक्ट्स को दर्शाया गया हो तो आपको पता चल जाएगा कि क्या हो सकता है।

कुरान और बाइबिल को इस तरह से नहीं छूना

न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की पीठ ने फिल्म के निर्माताओं की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए आगे कहा कि कुरान और बाइबिल जैसे पवित्र ग्रंथों को इस तरह से नहीं छुआ जाना चाहिए।

---विज्ञापन---

कोर्ट ने यह भी कहा कि फिल्म में जिस तरह से रामायण के धार्मिक पात्रों को चित्रित किया गया है, उससे लोगों की भावनाएं आहत हुई होंगी। कोर्ट ने कहा कि हाल के दिनों में उसे ऐसी कई फिल्में देखने को मिली हैं जिनमें हिंदू देवी-देवताओं को मजाकिया तरीके से दिखाया गया है।

हम मुंह बंद कर लेंगे तो बढ़ेंगी ऐसी घटनाएं

कोर्ट ने कहा कि अगर हम आज अपना मुंह बंद कर लेंगे तो आप जानते हैं क्या होगा? ये घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। मैंने एक फिल्म देखी थी जिसमें भगवान शंकर को अपने त्रिशूल के साथ बहुत अजीब तरीके से दौड़ते हुए दिखाया गया था। अब, इन चीजों का प्रदर्शन किया जाएगा? जैसे-जैसे फिल्में व्यवसाय करती हैं, फिल्म निर्माता पैसा कमाते हैं।

---विज्ञापन---

मान लीजिए अगर आप कुरान पर एक छोटी सी डॉक्यूमेंट्री भी बना दें, जिसमें गलत चीजों का चित्रण हो, तो आप देखेंगे कि क्या होगा। हालांकि, मैं एक बार फिर स्पष्ट कर दूं कि यह किसी एक धर्म के बारे में नहीं है। यह संयोग है कि इस मुद्दे का संबंध रामायण से है, अन्यथा न्यायालय सभी धर्मों का है।

अदालत का कोई धर्म नहीं

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह मुद्दा किसी एक धर्म के बारे में नहीं है, लेकिन, किसी विशेष धर्म को खराब रोशनी में चित्रित नहीं किया जाना चाहिए। इस बात पर जोर देते हुए कि कोर्ट का अपना कोई धर्म नहीं है, कोर्ट ने कहा कि उसकी एकमात्र चिंता यह है कि कानून और व्यवस्था की स्थिति बनी रहे।

गौरतलब है कि न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने अभी तक इस मामले में कोई ठोस आदेश पारित नहीं किया है और न्यायालय की मौखिक टिप्पणियां मौजूदा मुद्दे से संबंधित थीं।

कोर्ट ने चुटकी लेते हुए कहा कि लेकिन आप देखेंगे कि शाम तक ये सारी बातें (मीडिया में) प्रकाशित हो जाएंगी।

फिल्म निर्माताओं के दिमाग में चल क्या रहा था?

मंगलवार को करीब एक घंटे चली सुनवाई के बाद अदालत ने बुधवार को फिर से मामले की सुनवाई की। अदालत ने आश्चर्य जताया कि ‘आदिपुरुष’ फिल्म निर्माताओं के दिमाग में क्या चल रहा था जब वे इस फिल्म को लेकर आए थे। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि रामायण के पात्रों के बारे में कोई भी इस तरह से नहीं सोचता, जिस तरह से फिल्म निर्माताओं ने इसे चित्रित किया है।

बेहद दयनीय दिखाए गए पात्र

कोर्ट ने कहा कि क्या कोई कल्पना करता है कि धार्मिक पात्र उस तरह अस्तित्व में होंगे जैसे उन्हें फिल्म में दिखाया गया है? फिल्म में पात्रों ने जो पोशाक पहनी है, क्या हम कल्पना करते हैं कि हमारे भगवान ऐसे ही होंगे? रामचरितमानस एक पवित्र ग्रंथ है, लोग इसका पाठ करते हैं अपने घरों को छोड़ने से पहले और आप इसे इतने दयनीय तरीके से चित्रित करते हैं?

कोर्ट ने यह भी कहा कि कोर्ट के सामने मुद्दा यह है कि रामायण के सभी पात्र, जिनकी लोग बड़े पैमाने पर पूजा करते हैं, उन्हें दयनीय तरीके से दिखाया गया है। जब कोर्ट ने सवाल किया कि सीबीएफसी ने ऐसी फिल्म को क्यों पास किया और उसने ऐसी फिल्म को प्रमाणित करके बड़ी गलती की है।

धन्य हैं सेंसर बोर्ड के संस्कारी लोग

इसके जवाब में जब डिप्टी एसजीआई ने कहा कि प्रमाणपत्र समझदार सदस्यों वाले एक बोर्ड द्वारा दिया गया था। अदालत ने मजाकिया लहजे में कहा कि अगर ऐसे ‘संस्कारी’ लोग ऐसी फिल्म देख रहे हैं, तो वे वास्तव में धन्य हैं। कोर्ट ने कहा, आप कह रहे हैं कि संस्कार वाले लोगों ने इस फिल्म को प्रमाणित किया है (बोर्ड के सदस्यों का जिक्र करते हुए) जहां रामायण के बारे में ऐसा दिखाया गया है तो वो लोग धन्य हैं।

कुछ लोग पूरी मूवी नहीं देख सके

पीठ ने यह भी कहा कि उसने कई लोगों से फिल्म के बारे में उनके विचार पूछे और पाया कि फिल्म असहनीय थी और कुछ लोग तो फिल्म पूरी भी नहीं कर सके क्योंकि वे हिंदू देवी-देवताओं का गलत तरीके से चित्रण नहीं देख सकते थे। कोर्ट ने कहा कि कुछ लोग पूरी फिल्म नहीं देख पाए। जो लोग भगवान राम, भगवान लक्ष्मण और मां सीता का सम्मान करते हैं, वे ऐसी फिल्म नहीं देख सकते।

यह भी पढ़ें: Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग को मिला जबरदस्त रिस्पांस, 8.5 लाख लोगों ने रखी राय

HISTORY

Written By

Bhola Sharma

First published on: Jun 28, 2023 09:33 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें