Caste Fraud in Utter Pradesh, गाजियाबाद: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में आते उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद ऐ बड़ा ही पेचीदा मामला सामने आया है। यहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता के घर में दो-दो जातियां हैं। पांच बहन-भाइयों में से एक इस नेता समेत तीन अनुसूचित जाति (SC) में मिले तो इसके दो भाई अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का लाभ उठा रहे थे। गजब की बात तो यह भी है कि नेता ने चुनाव भी लड़ लिया और जीत भी लिया। अब जब इस फर्जीवाड़े का भांडा फूट गया तो नेता का जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया है।
मामला गाजियाबाद नगर निकाय चुनाव में वार्ड-26 से चुनाव जीते भारतीय जनता पार्टी के नेता राजकुमार के परिवार से जुड़ा हुआ है। प्रशासनिक जांच में इस मामले में पता चला है कि सुंदरपुरी के राजकुमार पुत्र गोकलचंद ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस वार्ड से चुनाव लड़ते वक्त खुद को कोरी समुदाय से संबंधित बताया था, जबकि उनके खिलाफ शिकायत देने वाले उनकी जाति मल्लाह बताई थी। इस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए जिला अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने एसडीएम से जांच कराई। इस जांच में प्रशासन ने पाया कि राजकुमार अपने पिता की उन पांच संतानों में से एक हैं, जिनमें से तीन अनुसूचित जाति में तो दो अन्य पिछड़ा वर्ग में मिले।
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जांच रिपोर्ट के मुताबिक राजकुमार ने घोषणा पत्र के अलावा भारतीय शिक्षा संस्थान जूनियर हाई स्कूल गाजियाबाद के स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (SLC) भी प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने खुद को कोरी जाति ये संबंधित बताया था। दूसरी ओर उनके दो भाइयों वेद प्रकाश और हरबंश लाल ने खुद को मल्लाह जाति से दिखाया था। एक अन्य भाई मदनलाल और हरियाणा के अंबाला छावनी एरिया में ब्याही गई बहन सीमा पत्नी पवन कुमार के जाति प्रमाण पत्रों में कोरी जाति दर्ज मिली।
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इसके बाद जांच टीम ने भाजपा नेता राजकुमार और इनके तीनों भाइयों से मूल पैतृक स्थान के बारे में जानकारी ली तो वेदप्रकाश ने खुद को बाराबंकी जिले के गांव मल्लापुरवा को अपना पैतृक स्थान बताया है। परिवार के सदस्यों की तरफ से खुद को कोरी और मल्लाह जाति से होने के अलग-अलग दावे सामने आए तो एसडीएम ने तहसील सदर से राजकुमार का कोरी जाति का प्रमाण पत्र रद्द करने की सिफारिश जिला अधिकारी को भेजी है।
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इस बारे में एसडीएम सदर विनय कुमार सिंह ने जाति प्रमाण पत्र के गलत पाए जाने के चलते निरस्त कर दिए जाने संबंधी पुष्टि की, वहीं गाजियाबाद के सहायक निर्वाचन अधिकारी विशाल सिंह ने भी कहा कि चुनाव जीतने के बाद प्रत्याशी का जाति प्रमाण पत्र गलत पाया जाता है तो उस पर कोर्ट ही फैसला ले सकता है। इसके अलावा इस मामले में सूत्रों का यहां तक भी कहना है कि सिर्फ इसी वार्ड ही नहीं, बाकी 25 वार्डों के मामले भी कोर्ट में विचाराधीन हैं। ज्यादातर पार्षदों पर गलत जानकारी देकर चुनाव लड़ने का आरोप है। फिलहाल वार्ड-26 के पार्षद राजकुमार के मामले की जांच रिपोर्ट कोर्ट को भेजी जाएगी, जिसके बाद आगे का फैसला तय हो पाएगा।