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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

मुस्लिम मर्दों की एक से अधिक शादी पर हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी, जानें क्या है मुरादाबाद का केस?

Muslim Marriage Ruling: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पुरुषों को चार शादियां करने की इजाजत तो दी है, लेकिन कुछ शर्तों पर। कोर्ट ने कहा कि दूसरी शादी तभी वैध मानी जाएगी जब सभी पत्नियों के साथ बराबरी और न्याय हो। जानिए कोर्ट का पूरा फैसला।

Author Edited By : Hema Sharma Updated: May 15, 2025 13:24
Muslim Marriage Ruling
Muslim Marriage Ruling

Muslim Marriage Ruling: मुस्लिम पुरुषों को बहुविवाह की दी गई छूट को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि यह अधिकार बिना शर्त नहीं है मुस्लिम पुरुष केवल तभी दूसरी शादी कर सकता है, जब वह सभी पत्नियों के साथ बराबरी का और निष्पक्ष व्यवहार करने में सक्षम हो। यह टिप्पणी मुरादाबाद जिले से जुड़े एक आपराधिक मामले की सुनवाई के दौरान सामने आई। जानिए क्या है पूरा मामला।

क्या है पूरा मामला?

इस केस में फुरकान नामक व्यक्ति और दो अन्य ने ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी की गई चार्जशीट और समन को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इन पर आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 495 (पहली शादी छुपाकर दूसरी शादी करना), 120-B (साजिश), 504 और 506 के तहत FIR दर्ज की गई थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया कि फुरकान ने अपनी पहली शादी की जानकारी छिपाकर दूसरी शादी की और उस दौरान बलात्कार भी किया। बचाव पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि महिला ने खुद यह स्वीकार किया है कि संबंध के बाद उन्होंने विवाह किया। साथ ही, वकील ने कहा कि शरीयत अधिनियम 1937 के तहत मुस्लिम पुरुष को अधिकतम चार विवाह करने की अनुमति है, इसलिए यह अपराध नहीं बनता।

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क्या कहता है मुस्लिम पर्सनल लॉ?

राज्य सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यदि पहला विवाह मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत नहीं हुआ और व्यक्ति ने धर्म परिवर्तन के बाद दूसरा विवाह किया, तो ऐसी स्थिति में यह विवाह वैध नहीं माना जाएगा। इस तरह, यह भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आएगा।18 पन्नों के विस्तृत फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि दोनों विवाह मुस्लिम महिलाओं के साथ हुए हैं और दोनों ही इस्लाम धर्म को मानने वाली हैं, अतः यह विवाह शरीयत के तहत वैध माने जा सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में आईपीसी की धाराएं 376, 495 और 120-बी लागू नहीं होतीं।

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विशेष परिस्थितियों में क्या कहता है कोर्ट?

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कुरान ने बहुविवाह की इजाजत विशेष परिस्थितियों -जैसे विधवाओं, अनाथों की देखभाल – को ध्यान में रखते हुए दी थी, न कि स्वार्थ सिद्धि के लिए। इस संदर्भ में कोर्ट ने मुस्लिम पुरुषों को चेताया कि वे इस छूट का दुरुपयोग न करें। यह मामला न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकल पीठ में सुना गया। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 26 मई 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह की तारीख तय की है और तब तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ किसी भी दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

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First published on: May 15, 2025 01:24 PM

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