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लखनऊ में 800 मरीज बुखार से पीड़ित, अस्पतालों में भर्ती, डॉक्टर- कोई कारण पता नहीं चल रहा

 800 Patients Suffering From Fever In Government Hospitals लोहिया, सिविल, केजीएमयू, पीजीआई,बलरामपुर, लोकबंधु, महानगर भाऊराव देवरस समेत सरकारी और दूसरे अस्पतालों में बुखार, डेंगू, टायफाइड के लगभग 800 मरीज भर्ती हैं। सबसे ज्यादा मरीज लगभग 150 बुखार पीड़ित केजीएमयू में भर्ती हैं।

Edited By : Swati Pandey | Updated: Oct 20, 2023 14:51
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 800 Patients Suffering From Fever In Government Hospitals: बुखार प्रदेश में लगातार पैर पसारता जा रहा है। जहां अस्पतालों में मरीजों की जांच में डेंगू, मलेरिया, टायफाइड, चिकनगुनिया की पुष्टि नहीं हो रही और दवाएं भी मरीजों पर बेअसर साबित हो रही हैं। वहीं हालात ये  है, कि लखनऊ के निजी-सरकारी अस्पतालों में 800 से अधिक बुखार मरीज भर्ती है। इनमें जांच के बाद तकरीबन 30 प्रतिशत की सभी रिपोर्ट निगेटिव आ रही हैं। फिर भी बुखार बना हुआ है, रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी इनमें बुखार किन कारणों से बना हुआ है, पता करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में डॉक्टर भी निश्चित तौर पर बुखार का कारण नहीं बता पा रहे हैं।

लोहिया, सिविल, केजीएमयू, पीजीआई,बलरामपुर, लोकबंधु, महानगर भाऊराव देवरस समेत सरकारी और दूसरे अस्पतालों में बुखार, डेंगू, टायफाइड के लगभग 800 मरीज भर्ती हैं। सबसे ज्यादा मरीज लगभग 150 बुखार पीड़ित अकेले केजीएमयू में भर्ती हैं। अस्पताल के डॉक्टर ने बताया है कि ज्यादातर मरीज तेज बुखार के हैं। पैरासिटामॉल और दूसरी एंटीबायोटिक दवाएं देने के बावजूद बुखार कम नही हो रहा है। बुखार से पीड़ित कई मरीजों ने बदन दर्द की भी शिकायत की है। वहीं  बुखार के बाद मरीजों को सुस्ती, कमजोरी महसूस हो रही है।

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रिपोर्ट निगेटिव फिर भी बुखार की शिकायत

अस्पतालों में भर्ती और ओपीडी में आ रहे मरीजों की टायफाइड, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, टीबी समेत दूसरी जांचों की रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है। जब बुखार के कारणों का सटीक पता नहीं चल पा रहा है तो डॉक्टर लक्षणों के आधार पर पीड़ितों का इलाज कर रहे हैं। हालांकि डॉक्टरों ने ज्यादातर बुखार पीड़ितों को खतरे से बाहर बताया है।

मरीजों के शरीर पर लाल चकत्ते देखने को मिले

सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि  मरीज के अंदर 20 हजार से  कम प्लेटलेट्स  होने पर शरीर में उसका प्रभाव दिखने लगता है। मरीज के शरीर पर लाल चकत्तेे पड़ने लगते हैं या ब्लीडिंग होने लगती है। ऐसी स्थिति में प्लेटलेट्स चढ़ाने की सबसे अधिक जरूरत पड़ती है। वहीं 20 हजार से अधिक प्लेटलेट्स वाले मरीजों को अमूमनन प्लेलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ रही है। आठ से 10 दिन में उनकी प्लेटलेट्स बढ़ने के साथ ठीक होकर घर जा रहे हैं। सिविल में 28 डेंगू मरीज भर्ती हैं। अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि डेंगू व बुखार के करीब 25 फीसदी मरीजों में प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ रही है। यहां 20 डेंगू मरीज भर्ती हैं। बलरामपुर अस्पताल में 15 मरीज भर्ती हैं। केजीएमयू, पीजीआई, लोहिया संस्थान समेत दूसरे अस्पतालों में भर्ती डेंगू व बुखार के मरीजों का इलाज चल रहा है।

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हर चौथे मरीज की प्लेटलेट्स कम

बुखार व डेंगू मरीजों में प्लेटलेट्स तेजी से कम हो रही हैं। चार-पांच दिन के बुखार में मरीज की प्लेटलेट्स 50 हजार हो जा रही है। जिसकी वजह से अस्पतालों में भर्ती हर चौथे मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ानी पड़ रही हैं। डॉक्टर 20 हजार से कम प्लेटलेट्स वाले मरीज व ब्लीडिंग होने पर तुरंत प्लेटलेट्स चढ़ा रहे हैं। वहीं सरकारी अस्पतालों में भर्ती 100 से अधिक डेंगू मरीजों में आधा दर्जन की हालत बेहद गंभीर है।

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Edited By

Swati Pandey

First published on: Oct 20, 2023 02:51 PM
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