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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

मिड-डे मील का दूध पीने से 20 बच्चे हुए बीमार, रसोइया ने स्कूल की सच्चाई की बयां तो….

20 children fell ill after drinking mid-day meal milk: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले से बुरी खबर सामने आई है। यहां पर मिड-डे मील का दूध पीने से 20 बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो गए। इसके तुरंत बाद बच्चों को स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। इस घटना की सूचना […]

Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Sep 20, 2023 18:35
मिड-डे मील का दूध पीने से 20 बच्चे हुए बीमार, रसोइया ने स्कूल की सच्चाई की बयां तो....

20 children fell ill after drinking mid-day meal milk: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले से बुरी खबर सामने आई है। यहां पर मिड-डे मील का दूध पीने से 20 बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो गए। इसके तुरंत बाद बच्चों को स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। इस घटना की सूचना के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है।

दरअसल, गाजियाबाद स्थित लोनी के प्रेम नगर में प्राथमिक स्कूल में बच्चों को मिड-डे मील में दूध दिया गया था, जिसे पीने के बाद 20 बच्चों की तबीयत खराब हो गई। इसके तुरंत बाद बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

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बेकार गुणवत्ता का मिड-डे मील बनवाने की शिकायत पर निकाली रसोइया

बेकार गुणवत्ता का मिड-डे मील बनवाने को लेकर दिल्ली के मुस्तफाबाद की रहने वाली सन्नो ने गाजियाबाद के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर शिकायत की। उन्होंने बताया कि कैसे मिड-डे मील के खाने को लेकर धांधली की जा रही है। अपनी शिकायत पत्र में उन्होंने बताया कि स्कूल द्वारा बेकार गुणवत्ता का मिड-डे मील बनवाया जाता था और प्रधानाचार्य को इसकी शिकायत करने पर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया, साथ ही उनकी कई महीनों की मजदूरी भी नहीं दी गई।

रसोइया ने स्कूल की बयां की सच्चाई

सन्नो ने गाजियाबाद जिलाधिकारी को लिखे पत्र में कहा कि मैं बतौर सन्नो पिछले पांच साल से रसोइया के तौर पर पाइमरी पाठशाला प्रेम नगर लोनी गाजियाबाद में मिड-डे का बच्चों के लिए खाना बनाती रही। इसके लिए मुझे प्रधानाचार्य द्वारा मासिक 1500 रुपये मिलते थे। मिड-डे मील के लिए रोजाना छह किलो दूध दिया जाता था, जिसमें 10 से 15 लीटर पानी मिलवाया जाता था। रोटी कम और अधिकतर चावल बनवाए जाते थे। इस दौरान खाने में कई बार सूड़ी और कीड़े निकले थे। एक बार चावल और आलू में कीड़े थे। जिससे छात्रों द्वारा उल्टी करने पर शिकायत करने पर प्रधानाचार्य उन्हें धमकाया गया। मेरे सामने पांच साल में कभी फल वितरण नहीं किये। जब छात्रों के माता-पिता द्वारा मुझसे शिकायत की गयी तो हमने प्रधानाचार्य को बता दिया था, कि जितना सामना हमें दिया जाता है। उसी प्रकार हम खाना पकाते हैं। जिस कारण मुझे कार्य से हटा दिया गया और पिछले कई माह की मजदूरी नहीं दी गई। खाने की गुणवत्ता बहुत ही घटिया होती है। जिस कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा होगा। इस संबंध में कई बार प्रधानाचार्य से शिकायत की गई तो मुझे धमकाया गया। अत; आपसे अनुरोध है कि उक्त मामले की जांच कराकर मेरी मजदूरी दिलवाने की कृपा करे।

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जांच के लिए दूध का लिया गया सैंपल

बीमार बच्चों का अस्पताल में इलाज चल रहा है, इसमें से 9 बच्चों की हालत में सुधार होने पर उन्हें घर भेज दिया है। बच्चों को भर्ती कराने के लिए गाजियाबाद से लोनी में एंबुलेंस बुलानी पड़ी। फिलहाल, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं, जांच के लिए दूध का सैंपल लिया गया है।

First published on: Sep 20, 2023 06:30 PM

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