Akhilesh Yadav On Rahul Gandhi: गठबंधन से रालोद के अलग होने के बाद भी अखिलेश यादव कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं दिख रहे। हाल ही के बयान में तो और नहीं। फिलहाल उनकी तरफ से कांग्रेस को यूपी में 15 सीटें लड़ने का ऑफर दिया गया है। इसके अलावा ये शर्त भी रखी गई है कि इन 15 सीटों के अलावा कांग्रेस किसी और सीट पर अलग से उम्मीदवार नहीं उतारेगी।
क्या सपा कांग्रेस को सीटों का ऑफर देगी?
सपा सूत्रों का कहना है कि ये ऑफर कांग्रेस को दे दिया गया है और अब गेम उसके पाले में है। अखिलेश यादव ने भी इस ऑफर की जानकारी देते हुए कहा कि हमारी कई राउंड की बातचीत हुई है। दोनों तरफ से अलग-अलग लिस्ट एक-दूसरे को दी गई है।
सीट शेयरिंग पर जब बात बन जाएगी, तब समाजवादी पार्टी कांग्रेस की यात्रा का हिस्सा बनेगी। इस तरह अखिलेश यादव ने कांग्रेस से साफ कर दिया है कि वह सीटों पर ज्यादा त्याग करने के मूड में नहीं हैं। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने 2017 के विधानसभा चुनाव से सबक सीख लिया है।
तब सपा ने सौ सीटों पर लड़ने का मौका कांग्रेस को दिया था। इसमे महज सात पर ही कांग्रेस जीत हासिल कर पाई थी। सपा की उस वक्त करारी हार के पीछे के वजह कांग्रेस को बताया जा रहा था। क्योंकि भाजपा से सीधे मुकाबले में वो बेहद कमजोर थी। और जितनी उम्मीद जताई जा रही थी, सपा के मतदातदाओं ने भी उसका उतना साथ नहीं दिया। ।
बता दें कि समाजवादी पार्टी अमेठी और रायबरेली जैसी सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं देती है। ऐसी स्थिति में अगर कांग्रेस सपा के साथ नहीं गई तो फिर इन सीटों पर कैंडिडेट दिए जा सकते हैं। सपा के इस कदम से कांग्रेस अपने गढ़ों में ही बुरी फंसेगी। वह पहले ही 2019 के चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी के हार का कड़वा घूंट पी चुकी हैं।
गौरतलब है कि 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने 52 सीटों पर ही जीत हासिल की थी। सिर्फ एक ही सीट उसे रायबरेली से मिली थी। इस बार रायबरेली से भी सोनिया गांधी नहीं लड़ेंगी और उनकी जगह परिवार के किसी दूसरे व्यक्ति को मौका दिया जा सकता है। कयास लगाए जा रहे हैं कि रायबरेली से चुनाव लड़ने के लिए सोनिया गांधी की जगह प्रियंका गांधी को मौका मिल सकता है।