Sachin Pilot: राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय पर करारा पलटवार किया है। पायलट ने उन्हें तारीख और फैक्ट दुरुस्त करने की सलाह देते हुए कहा कि उनके दिवंगत पिता राजेश पायलट ने पूर्वी पाकिस्तान पर बम गिराए थे न कि मिजोरम पर। 29 अक्टूबर 1966 को ही पिता को भारतीय वायुसेना में नियुक्त किया गया था। उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति की तरफ से जारी एक लेटर भी जारी किया है। अंत में सचिन पायलट ने अमित मालवीय को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी है।
अमित मालवीय ने किया था ये दावा
दरअसल, अमित मालवीय ने एक न्यूज चैनल के वीडियो को सोशल मीडिया के एक्स प्लेटफार्म पर शेयर करते हुए दावा किया कि जब राजेश पायलट भारतीय वायुसेना में थे तो उन्होंने 1966 में मिजोरम पर बम गिराए थे।
मालवीय ने कहा, ‘राजेश पायलट और सुरेश पायलट भारतीय वायु सेना के विमान उड़ा रहे थे। उन्होंने 5 मार्च, 1966 को मिजोरम की राजधानी आइजोल पर बम गिराए थे। बाद में, वे दोनों कांग्रेस सांसद और बाद में मंत्री बन गए। इंदिरा गांधी ने राजनीतिक अवसरों के माध्यम से उत्तर पूर्व में साथी नागरिकों पर हवाई हमले करने वालों को सम्मानित किया।’
आपके पास गलत तारीख
मंगलवार को सचिन पायलट ने मालवीय के दावों पर जवाब दिया। लिखा, ‘आपके पास गलत तारीखें, गलत तथ्य हैं। हां, भारतीय वायु सेना के पायलट के रूप में मेरे दिवंगत पिता ने बम गिराए थे। लेकिन वह 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान पर था न कि जैसा कि आप दावा करते हैं कि 5 मार्च 1966 को मिजोरम पर। उन्हें 29 अक्टूबर 1966 को ही भारतीय वायुसेना में नियुक्त किया गया था। प्रमाणपत्र देख लीजिए।’
पीएम ने लोकसभा में किया था ये दावा
पिछले हफ्ते लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर अपने जवाब के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने मिजोरम के खिलाफ भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल किया था। आज भी मिजोरम हर साल 5 मार्च को शोक मनाता है। यह अब तक नहीं भूला है। कांग्रेस ने इस तथ्य को देश से छुपाया है।
जयराम रमेश ने इंदिरा का किया बचाव
पीएम मोदी को जवाब देते हुए कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का बचाव किया था। जयराम रमेश ने कहा कि मार्च 1966 में मिजोरम में पाकिस्तान और चीन से समर्थन पाने वाली अलगाववादी ताकतों से निपटने के लिए इंदिरा गांधी के असाधारण सख्त फैसले की उनकी आलोचना विशेष रूप से दयनीय थी।
तत्कालीन प्रधानमंत्री ने मिजोरम को बचाया। विरोधियों से बातचीत शुरू की, अंततः 30 जून 1986 को एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। जिस तरह से समझौता हुआ वह एक उल्लेखनीय कहानी है जो आज मिजोरम में भारत के विचार को मजबूत करती है।
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