Rajasthan Lok Sabha Election 2024: राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत का एकछत्र साम्राज्य रहा है। अशोक गहलोत पहली बार 1999 में प्रदेश के सीएम बने। इससे पहले वे जोधपुर लोकसभा सीट कई बार सांसद भी रहे। कांग्रेस पार्टी उनकी अगुवाई में लड़ा गया 2023 का विधानसभा चुनाव हार गई। कांग्रेस की हार के बाद अब बारी है लोकसभा चुनाव की। लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में राजस्थान की 12 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। अब दूसरे चरण में 13 लोकसभा सीटों पर 26 अप्रैल को मतदान होगा। इस चरण में जालौर-सिरोही सीट सबसे हाॅट सीट बन गई है। वजह है उनके बेटे वैभव गहलोत का इस सीट से चुनाव लड़ना।
कांग्रेस ने वैभव गहलोत को 2014 के लोकसभा चुनाव में जोधपुर से प्रत्याशी बनाया था लेकिन वैभव 2 लाख 74 हजार से अधिक मतों से भाजपा के गजेंद्र सिंह शेखावत से चुनाव हार गए थे। हालांकि ये हार अशोक गहलोत को इसलिए भी ज्यादा चुभी क्योंकि कुछ महीनों पहले हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने सरकार बनाई और वे स्वयं तीसरी बार प्रदेश के सीएम बने। ऐसे में इस बार गहलोत के कहने पर और ताजा राजनीति परिस्थितियों के चलते उन्होंने पुत्र वैभव को जालौर-सिरोही सीट से टिकट दिलवाया।
जालौर-सिरोही भाजपा की सेफ सीट क्यों?
जालौर-सिरोही को भाजपा की सेफ सीट कहा जाता है। पिछले तीन बार से लगातार भाजपा के देवजी पटेल यहां से सांसद थे। भाजपा ने देवजी को जालौर सीट से 2023 का विधानसभा चुनाव लड़वाया लेकिन वे चुनाव हार गए। इसके बाद पार्टी ने उनका लोकसभा चुनाव में भी टिकट काट दिया। भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पटेल समाज से आने वाले लुंबाराम चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में नये चेहरे के सामने होने और परंपरागत विश्नोई और माली वोट बैंक के सहारे गहलोत ने अपने बेटे के लिए इस सीट को सबसे मुफीद समझा। राजनीति के आखिरी पड़ाव पर आ चुके सीएम गहलोत के लिए ऐसे में यह सीट अब नाक की लड़ाई बन चुकी है।
क्या बिश्नोई-माली लगा पाएंगे वैभव की नैया पार
जालौर-सिरोही संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की 8 सीटें हैं। 4 सीटें भाजपा के पास हैं। 3 सीटें कांग्रेस के पास हैं वहीं एक निर्दलीय ने भी भाजपा को समर्थन दे रखा है। ऐसे में कुल मिलाकर 5 सीटों पर भाजपा मजबूत हैं। वहीं बात करें वोट की तो विधानसभा चुनाव में भाजपा को इन 8 सीटों पर 6 लाख 59 हजार 694 प्राप्त हुए। वहीं कांग्रेस को 6 लाख 67 हजार 309 वोट मिले। भाजपा के देवजी पटेल विधानसभा चुनाव हार गए।
वहीं 15 सालों की एंटी इंकबेंसी के चलते कांग्रेस को यहां उम्मीद की किरण नजर आ रही है। इस सीट पर ओबीसी वोटर्स की संख्या 45 प्रतिशत है। इसके अलावा क्षेत्र में रहबारी, बिश्नोई, पटेल, रावणा राजपूत और कलबी वोटर्स बड़ी तादाद में हैं। इसके अलावा इस सीट पर बड़ी संख्या में प्रवासी वोटर्स भी हैं। वहीं सात लाख के आसपास एससी और एसटी वोटर्स है। कांग्रेस पेपर लीक मामलों में बिश्नोई समाज पर लगातार हो रही कार्रवाई को सहानुभूति से जोड़कर इस समाज के वोट साधने में जुटी है। वहीं माली समाज इस सीट पर पूर्व सीएम के समर्थन में भावनात्मक रूप से जुड़ सकते हैं।
क्या हार के तिलिस्म को तोड़ पाएंगे वैभव
वैभव गहलोत के लिए अशोक गहलोत पूरी ताकत झोंके हुए हैं। उन्हें जालौर-सिरोही के अलावा पहले की तरह पूरे राजस्थान के दौरे करते हुए नहीं देखा गया। गहलोत के अलावा प्रियंका गांधी और सचिन पायलट भी चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशी लुंबाराम चौधरी के समर्थन में सीएम भजनलाल शर्मा और पीएम नरेंद्र मोदी चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं। कुल मिलाकर यह सीट अब कांग्रेस और अशोक गहलोत के लिए नाक का सवाल बन चुकी है। अब यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि वैभव इस सीट पर जीत दिला पाते हैं या नहीं।
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