जयपुर की गलियों से लेकर गांव की चौपाल तक हर जगह आवारा कुत्तों का साम्राज्य है। सुप्रीम कोर्ट के बाद अब राजस्थान हाईकोर्ट ने भी सड़कों से इनको हटाने का आदेश दे दिया है। अब सवाल है कि 80 हजार डॉग्स जाएंगे कहां? आपका बता दें, कुत्तों का आतंक इतना है कि इसके कई उदाहरण आए दिन देखने को मिल रहे हैं। बात करें, दीपक महावर के बारे में जो राखी के दिन बच्चों के साथ घर लौट रहे थे। तभी एक आवारा कुत्ता उनके पीछे दौड़ पड़ा। उसने पांव पर काटा और गहरा घाव कर गया। अब महीने भर में चार इंजेक्शन और रोज की मजदूरी भी गई। अब रेबीज़ का डर भी पीछा नहीं छोड़ रहा है।
दीपक महावर के मुताबिक, वो लोग गाड़ी जा रहे थे कि पीछे से कुत्ते ने काट लिया। अब रोज अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं और अलग से डर भी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने भी फरमान जारी कर दिया है। शहर की सड़कों से आवारा डॉग्स हटाओ, लेकिन नगर निगम के सामने चुनौती कम नहीं है। क्योंकि उनके सामने 80 हजार डॉग्स को रखना है। जिसके लिए न जमीन है, न शेल्टर और न ही पर्याप्त स्टाफ है।
कोर्ट के आदेश का पालन होगा
जयपुर ग्रेटर नगर निगम की मेयर सौम्या गुर्जर ने बताया कि हम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे। जल्दी ही डॉग शेल्टर के लिए जगह तलाशे जाएंगे। अब पहली स्कॉर्पियो की संख्या को कम करने के लिए उनकी नसबंदी करा कर छोड़ देते थे, लेकिन इनकी संख्या में बहुत ज्यादा कमी नहीं आ रही है। कई लोग आकर इससे जुड़ी शिकायतें भी करते हैं।
क्या कहते हैं रेबीज एक्सपर्ट ?
रेबीज एक्सपर्ट के मुताबिक, लोग अक्सर इलाज आधा छोड़ देते हैं, जिससे खतरा और बढ़ जाता है। इतनी बड़ी संख्या में डॉग्स को एक जगह रखना आसान नहीं, बल्कि खतरनाक भी हो सकता है। वहीं, डॉ महेश चंद्र वर्मा ने बताया कि इलाज पूरा नहीं कराना सबसे बड़ा खतरा है और बड़ी संख्या में कुत्तों को शेल्टर में रखना प्रैक्टिकली मुश्किल है। कुत्ते काटने के हर रोज 30 से 40 नए मामले आते हैं और इतने ही लोग इलाज के फॉलोअप्स के लिए भी आते हैं। डॉ महेश चंद्र वर्मा ने आगे कहा कि हम लोगों से कहते हैं कि आधा अधूरा इलाज छोड़ना खतरनाक हो सकता है।
पिछले 5 साल में राजस्थान में डॉग बाइट के 35 हजार से ज्यादा मामले आए। इनमें सबसे ज्यादा शिकार बच्चे होते हैं। 2021 में 6741 केस, 2024 में बढ़कर 8807 और इस साल सिर्फ अगस्त तक ही 5288 मामले दर्ज किए गए।
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