के जे श्रीवत्सन, जयपुर
Nahargarh Forest Murder: जयपुर में 10 दिन पहले लापता हुए एक युवक की खोज पुलिस के लिए बड़ी पहेली बनी हुई है। दरअसल, शास्त्री नगर स्थित 1 सितंबर को अपने घर से नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर ट्रेकिंग के लिए निकले दो भाई अचानक बिछुड़ गए। दोपहर को दोनों भाइयों ने घर पर फोन कर बताया कि वे आपस में बिछुड़ गए हैं। उसके बाद अचानक उनका संपर्क टूट गया। घने जंगल और तेज बारिश से घबराकर परिजनों ने शाम 4 बजे उनके लापता होने की रिपोर्ट शास्त्रीनगर पुलिस को दी। जिसके बाद पुलिस, NDRF और SDRF के साथ सिविल डिफेंस की टीम इन्हें खोजने में लग गई। आसमान से बरसता पानी और डूबते सूरज में सर्च ऑपरेशन पूरा नहीं हुआ। इस वजह से अगले दिन सुबह की उनकी आखिरी लोकेशन ट्रेस करके फिर से सर्च शुरू किया गया। सुबह करीब 10 बजे सर्च टीम को ट्रेकिंग एरिया से करीब 4 किलोमीटर दूर आशीष मिला, मगर जिंदा नहीं, मुर्दा। इसके बाद छोटे भाई को जमीं से लेकर आसमां तक ड्रोन और हेलिकॉप्टर तक से ढूंढ़ा गया, लेकिन दुर्गम रास्तों में चलाए जा रहे सर्च ऑपरेशन के बाद भी अब तक उसका कोई सुराग नहीं मिला।
पहले भी चर्चा में रहा है नाहरगढ़ का जंगल
वैसे जहां युवक लापता हुआ, वह नाहरगढ़ का जंगली जानवरों से भरा बीहड़ जंगल है। यहां तंत्र-मंत्र की शक्तियों से जुड़ी कहानियां भी प्रचलित हैं। जिसके चलते ये जंगल अक्सर सुर्खियों में रहता है। अब इस पूरे मामले पर राजस्थान हाई कोर्ट ने गृह सचिव और DGP से रिपोर्ट मांग ली है। नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज के दौरान एक युवक का शव भी लटका मिला था। पहाड़ियों पर कई जगह चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मावती की कहानी के तांत्रिक किरदार राघव तांत्रिक के नाम से लिखा गया था कि ‘पद्मावती का विरोध, हम पुतले नहीं जलाते, लटकाते हैं।’ इस मामले के बाद खूब बवाल हुआ था। इस पहाड़ी पर आए दिन दुर्घटना और अपराध की घटनाएं आम हैं। साथ ही नाहरगढ़ किले के निर्माण और उसके पीछे रोचक और भूतिया कहानियां रोंगटे खड़े कर देती हैं। इसी जगह पिछले 10 दिनों से एक 19 साल की युवक की तलाश में जमीं से लेकर ऑपरेशन चलाकर पूरा प्रशासनिक अमला जुटा हुआ है।
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खड़े हुए कई सवाल
शव के पोस्टमार्टम में आशीष की मौत की वजह सिर पर चोट लगना बताया गया है। मगर चोट ऊंचाई से गिरने, पहाड़ी पत्थर से टकराने या मारपीट से हुई, इसका खुलासा नहीं हुआ। इसके साथ ही राहुल का रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाना और 200 लोगों की टीम के सर्च ऑपरेशन के बावजूद पिछले 10 दिनों से खाली हाथ रहना सबको चौंका रहा है। आशीष का शव ट्रैकिंग के रूट से करीब चार किलोमीटर दूर मिला। ये वह एरिया है जहां अक्सर कोई नहीं जाता क्योंकि इन घने जंगलों में पैंथर मौजूद हैं। जंगली जानवर के साथ नाहरगढ़ से जुडी तंत्र मंत्र की रूहानियत भरी कहानियों के एंगल से भी जांच चल रही है। पुलिस इस एंगल से भी जांच कर रही है कि इसमें किसी तांत्रिक का हाथ तो नहीं।
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क्या है जंगल की कहानी
साल 1734 में जयपुर में सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने अरावली पर्वतमाला के ऊपर नाहरगढ़ का किला बनवाया। किले का नाम पहले सुदर्शनगढ़ रखा गया था, लेकिन इसके निर्माण के दौरान ही 700 फीट ऊंची पहाड़ी पर बन रहे इसके दरवाजे में लगे कांच टूटकर बिखर गए। बताया जाता है कि दिन में हुआ निर्माण काम रात में नष्ट हो जाता था।
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इस तरह रखा गया किले का नाम नाहरगढ़
कहा जाता है कि निर्माण के दौरान खुदाई में नाहर सिंह भोमिया महाराज की आत्मा को परेशान कर उसे चोट पहुंचाई गई। उसके बाद से ही उसकी आत्मा यहां भटकने लगी। बाद में उसी के डर से इसका नाम नाहरगढ़ रख दिया गया। बहरहाल, एक भाई की रहस्यमयी परिस्थियों में मौत और पोस्टमार्टम में भी हत्या की सही वजह का पता नहीं चल पाने और दूसरे के अचानक इस कदर लापता हो जाने के बाद मामले की कई एंगल से तफ्तीश जारी है।
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