Shiv Barat Tragic Accident Due To Electric Shock: शिव बारात निकल रही थी। नाचते-गाते मस्ती में झूमते लोग शिव पार्वती विवाह कराने जा रहे थे कि अचानक चीख पुकार मच गई। बच्चे अचानक चिल्लाने लगे। बेहोश होकर गिरने लगे। यह देखकर लोगों में हड़कंप मच गया।
बच्चों के हाथों और टांगों पर जलने के निशान देखकर लोगों को पता चला कि करंट लगने से बच्चों की यह हालत हुई है। लोगों ने आनन फानन में बच्चों को पहले नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां प्राथमिक उपचार देने के बाद सभी बच्चों को MBS अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया।
#WATCH | Rajasthan: Several children were electrocuted during a procession on the occasion of Mahashivratri, in Kota. Further details awaited. pic.twitter.com/F5srBhO9kz
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) March 8, 2024
हाईवोल्टेज लाइनों से टच हुए झंडे
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि बच्चों की हालत खतरे से बाहर है, लेकिन दहशत का माहौल बना हुआ है। वहीं लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला घायलों का कुशलक्षेम जानने के लिए अस्पताल पहुंचे। घटना दोपहर करीब साढ़े 12 बजे की है।
कुन्हाड़ी थर्मल चौराहे के पास शिव बारात निकल रही थी। बच्चे लोहे की छड़ियों वाले झंडे लेकर चल रहे थे कि एक झंडा ऊपर से गुजर रहीं हाईवोल्टेज लाइनों से छू गया, जिससे करंट फैल गया। नीचे बारिश का पानी भरा था तो करंट लगते ही झटककर बच्चे गिर गए।
#DisturbingVisuals: 14 children were electrocuted during a procession on the occasion of Mahashivratri, Kota, Rajasthan.
The condition of one child is said to be critical.
Lok Sabha Speaker Om Birla reached the hospital to inquire about the condition of the children.#kota… pic.twitter.com/RnadNoECt2— upuknews (@upuknews1) March 8, 2024
गुस्साए परिजनों ने आयोजक को पीटा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, करंट की चपेट में 10 से ज्यादा बच्चे आए। वहीं बच्चों की हालत देखकर दुखी हुए अभिभावक भड़क गए और उन्होंने शिव बारात का आयोजन करने वालों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया और एक आयोजक को पीट भी दिया।
लोगों का कहना है कि काली बस्ती में हर साल महाशिवरात्रि पर शिव बारात निकाली जाती है, लेकिन इस बार हादसा हो गया। पुलिस को शिकायत दी गई है। कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई है। वहीं घायल हुए बच्चों की उम्र 9 से 16 साल के बीच बताई जा रही है। हालांकि डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चे खतरे से बाहर हैं।