जयपुर : राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद होटल पॉलिटिक्स शुरू हो गई है। इतना ही नहीं, नौबत बंदूक तक जाने की भी आ गई। आरोप किसी और पर नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत पर है। कहा जा रहा है कि दुष्यंत के कहने पर पार्टी के सात विधायकों को एक कांग्रेस नेता के होटल में ठहराया था। बाद में पार्टी दूसरे शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप के बाद इन्हें से निकाला गया। हालांकि इस दौरान नौबत हाथापाई तक आ गई और वहां सिक्योरिटी में लगे लोगों ने बंदूक तक निकाल ली थी। यहां बड़ी बात यह है कि यह घटनाक्रम बिलकुल 2020 में भी घट चुका है, जब अशोक गहलोत अपनी सरकार बचाने की जुगत में थे। हालांकि अभी तक इस मामले में वधुंसरा राजे की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
199 में से 115 सीटों पर जीती है भाजपा
ध्यान रहे, हाल ही में 3 दिसंबर को घोषित हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा ने 199 में से 115 सीटों पर जीत हासिल की है। अब जबकि पार्टी में मुख्यमंत्री पद के लिए मंथन का दौर जारी है तो इसी बीच कुछ नेताओं की तरफ से विधायकों की बाड़ेबंदी का क्रम शुरू हो चुका है। पता चला है कि भाजपा के 7 विधायकों को मंगलवार को कोटा संभाग में सीकर रोड पर एक होटल में बुलाया गया और फिर पार्टी दफ्तर जाने की बजाय होटल में ही रुकने के लिए कहा गया। हालांकि इनमें से 6 विधायक रात में ही बहरोड़ पहुंच गए। किशनगंज के विधायक ललित मीणा ने इस घटनाक्रम के बारे में बताया कि विरोध कर होटल से निकलने का फैसला करने के बाद उन्होंने अपने पूर्व विधायक पिता हेमराज मीणा और पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी को फोन करके जानकारी दी। इसके बाद पार्टी के शीर्ष नेताओं के निर्देश पर कुछ कार्यकर्ता बचाव के लिए पहुंचे तो वहां सुरक्षा में तैनात किए गए लोगों ने बंदूकें तक निकाल ली। हालांकि गनीमत रही कि विवाद ज्यादा नहीं गहराया और यहां से निकालकर इन सभी विधायकों को जयपुर स्थित पार्टी कार्यालय लाया गया।
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जहां तक इस बाड़ेबंदी के आरोप की बात है, ये आरोप पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत पर हैं। इस बारे में ललित मीणा और उनके पिता हेमराज मीणा की मानें तो होटल में बुलाकर नजरबंद किए गए डग, मनोहर थाना, छबड़ा, किशनगंज, बारां के विधायकों को राज्य से बाहर ले जाने की योजना थी। इसी के साथ यह बात भी उल्लेखनीय है कि इससे पहले चुनाव परिणाम आने के अगले दिन यान 4 दिसंबर को ही वसुंधरा राजे ने आजाद उम्मीदवारों के फोन की घंटी बजानी शुरू कर दी थी। 40 से ज्यादा विधायकों को अपने घर दावत पर बुलाया था। हालांकि दो दिन बाद उन्होंने मीडिया के सामने सफाई भी दी थी।
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जुलाई-2020 में गहलोत ने की थी सरकार बचाने के लिए बाड़ेबंदी
उधर, थोड़ी नजरसानी बीते वक्त पर करें तो याद आएगा वह वाकया, जब जुलाई 2020 में सचिन पायलट की बगावत के बाद घबराए अशोक गहलोत ने सरकार को बचाए रखने के लिए दिल्ली रोड स्थित फेयरमाउंड होटल में बाड़ेबंदी की थी। इसके बाद विधायकों को जैसलमेर एक फाइव स्टार होटल में ले जाया गया था। 37 दिन तक यह उठापटक का दौर चला था।
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