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राजस्थान

Gurjar Mahapanchayat: गुर्जरों को 6 बार मिला आरक्षण, 5 बार कोर्ट ने किया खारिज, कितनी पुरानी मांग, अब आगे क्या?

Vijay Bainsla Gurjar Reservation: राजस्थान में एक बार फिर गुर्जर आरक्षण आंदोलन की आहट आनी शुरू हो गई है। गुर्जर आरक्षण समिति के अध्यक्ष और बीजेपी नेता विजय बैंसला ने सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि सरकार आज 12 बजे तक फैसला करें नहीं तो हम महापंचायत के बाद हम फैसला करेंगे कि आगे क्या करना है?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: Jun 8, 2025 10:23
Gurjar reservation demand
गुर्जर आरक्षण आंदोलन समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला (Pic Credit-X)

Rajasthan Gurjar Reservation: राजस्थान में एक बार फिर गुर्जर समाज लामबंद हो रहा है। समाज ने सरकार को रविवार दोपहर 12 बजे तक मांगों को लेकर फैसला लेने की बात कही है। अगर इसके बाद भी सरकार का जवाब नहीं आता है तो महापंचायत में आगे की रणनीति तय की जाएगी। गुर्जर आरक्षण समिति के अध्यक्ष और बीजेपी नेता विजय बैंसला ने कहा कि अब वे बातचीत के लिए सरकार के पास नहीं जाएंगे। सरकार किसी समक्ष आईएएस स्तर के अधिकारी के साथ चिट्ठी भेज दे। इसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। आइये जानते हैं गुर्जर समाज की प्रमुख मांगें क्या हैं?

गुर्जरों की प्रमुख मांगें

1.एमबीसी आरक्षण विधेयक 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए।

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2.आरक्षण के दौरान हुए समझौते का पालन हो।

3.सरकारी नौकरियों में 5 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाए।

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4.देवनारायण योजना का सही से क्रियान्वयन हो।

5.आंदोलन के दौरान मारे गए मृतकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।

6.आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं।

गहलोत सरकार के दौरान नवंबर 2020 में किसान आंदोलन हुआ। गुर्जर समाज ने उस समय दिल्ली -मुंबई रेलवे ट्रैक जाम किया था। तब सरकार ने समझौता करते हुए इन मांगों पर आपसी सहमति जताई।

1. देवनारायण योजना का सही से क्रियान्वयन

2. 2013 से 2018 तक बैकलॉग की भर्ती हो।

3. एमबीसी आरक्षण को नवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखना।

गुर्जर समाज क्यों नाराज है?

गुर्जर समाज की मांग है कि एमबीसी आरक्षण को 5वीं अनूसुची में जगह दी जाए। जोकि केंद्र का विषय है। गुर्जरों का आरोप है कि वैकेंसी इस तरह से निकाली जा रही है कि आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। विभिन्न भर्ती में पदों की संख्या कुछ इस तरह रखें कि पर्याप्त आरक्षण गुर्जर समाज को मिल सके।

अब तक कब-कब आंदोलन हुआ?

1.2006 में सबसे पहले गुर्जर महासभा अध्यक्ष रामगोपाल ने 21 दिनों तक अनशन किया। कर्नल किरोड़ी बैंसला की अध्यक्षता में गुर्जर आरक्षण समिति का गठन किया। सितंबर 2006 में आंदोलनकारी उग्र हो गए और हिंडौन सिटी करौली में रेल की पटरियां उखाड़ दी। मई 2007 में आंदोलन हिंसक हुआ और पुलिस फायरिंग में 38 आंदोलनकारी मारे गए। जस्टिस जसराज चोपड़ा की अध्यक्षता में कमेटी बनी। कमेटी ने गुर्जरों को एसटी आरक्षण के अनुरूप नहीं माना।

2.मई 2008 में फिर आंदोलन हुआ। पीलूपुरा भरतपुर में रेलवे ट्रैक रोक दिया गया। फायरिंग में 18 आंदोलनकारी मारे गए। इसमें समझौता हुआ और राजे सरकार ने एसबीसी के तहत 5 प्रतिशत आरक्षण दिया। 2009 में बीजेपी सरकार विदा हो गई। कांग्रेस सरकार के समय गुर्जरों ने एक बार फिर बिल को पारित करने की मांग की। सरकार ने बिल पारित किया। 15 दिन बाद हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।

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3.2010 में गुर्जर फिर लामबंद हुए। गहलोत सरकार ने पहली बार 2010 में गुर्जरों को ओबीसी के साथ एमबीसी में 1 प्रतिशत आरक्षण दिया। 2011 में गुर्जरों ने फिर रेलवे ट्रैक रोका। फिर समझौता हुआ। ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर सहमति बनी। 2012 में गुर्जर समेत 5 जातियों को एसबीसी आरक्षण देने की सिफारिश हुई। आरक्षण लागू हुआ लेकिन इसी साल हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।

4.साल 2015 में बीजेपी सरकार के दौरान फिर से रेलवे ट्रैक रोका गया। 28 मई 2015 को एसबीसी और ईबीसी आरक्षण के अलग-अलग बिल लाए गए। कोर्ट ने 2016 में इस पर भी रोक लगा दी। 2017 में फिर आंदोलन किया। सरकार ने एक बार फिर एमबीसी बिल पास किया। सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। 2019 में गुर्जरों ने फिर आंदोलन किया। इसके बाद एक बार फिर 5 प्रतिशत आरक्षण का नया विधेयक लाया गया। गुर्जर समेत 5 जातियों को एमबीसी आरक्षण लागू है।

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First published on: Jun 08, 2025 09:54 AM

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