---विज्ञापन---

Rajasthan में जीत का ब्रह्मास्त्र बनेगी गुर्जर पॉलिटिक्स, देखें इन्हें साधने को भाजपा-कांग्रेस ने क्या-क्या चले दांव?

Rajasthan Assembly Election 2023: पीएम मोदी ने कहा राजेश पायलेट ने कांग्रेस की भलाई के लिए चुनौती दी थी, वे बाद में झुक भी गये, लेकिन इसकी सजा उनको मिली।

Edited By : Shubham Singh | Updated: Nov 23, 2023 18:59
Share :

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनावों में बाजी मारने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही अपने-अपने ब्रह्मास्त्र चला दिए हैं। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार राजस्थान में तुरुप के हर पत्ते को पक्के हिसाब किताब के साथ बाहर ला रहे हैं तो वहीं अपनी गारंटियों के सहारे रण में उतरी कांग्रेस भी बीजेपी को उसी के मुद्दे पर घेर रही है। ब्रह्मास्त्र के रूप में पीएम मोदी ने कांग्रेस के दिवंगत नेता राजेश पायलट और उनके बेटे सचिन पायलट का नाम सभा में लेकर गुर्जर पॉलिटिक्स को साधने की कोशिश की है। इसपर सीएम गहलोत ने पलटवार करते हुए 72 गुर्जरों की गोलियों से मौत का जिम्मेदार बीजेपी को बताकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है। प्रचार थमने के अंतिम दिन गुर्जर पॉलिटिक्स राजस्थान की राजनीतिक सुर्खी बन गई है।

आरक्षण के लिए पटरियां उखाड़ने वाले आन्दोलनकारियों के रूप में ही केवल गुर्जरों को नहीं जाना जाता, बल्कि राजस्थान में सियासी दलों को सत्ता की पटरी पर लाने वालों में भी गुर्जर समाज का नाम है। राजस्थान के चुनावी महाभारत में सेनापति जहां अपने सिपहसालारों और भाषणों और आरोपों के तीर से बाजी साधने में लगे हैं, वहीं दोनी ही दलों के सभी नेता भाषणों के साथ साथ रोड शो, जनसभा और रैलियों के जरिये माहौल बनाने में जुटे हैं। राजनितिक समीकरणों के साथ जातिगत समीकरणों को साधने और उनमें सेंधमारी की भी कवायद अब जोरों पर है। इसी कड़ी में पिछले दिनों गुर्जर समाज के अराध्य देव देवनारायण भगवान मंदिर में कांग्रेस की लिफाफा वाली कथित कहानी और पीएम मोदी के पक्ष में गुर्जर समाज की प्रेस कांफ्रेंस भला किस को याद नहीं है।

---विज्ञापन---

ये भी पढ़ें-Rajasthan Election 2023: असम के CM हिमंता बिस्वा सरमा का तंज-लोगों की जेब काट रही गहलोत सरकार

उलझती नजर आ रही कांग्रेस

---विज्ञापन---

प्रियंका गांधी द्वारा राजस्थान में देवनारायण मंदिर के लिए पीएम मोदी द्वारा दिए गए दानी लिफाफे की कथित कहानी मंच से सुनाई गयी। दरअसल इस कहानी में भी एक कहानी है। यह है वोटों की कहानी। अब पीएम मोदी ने एक बार फिर से पिछले चुनावों के हाथ से खिसक गए बीजेपी के कोर वोट बैंक गुर्जर समाज को साधने की एक और बड़ी कोशिश के रुप में ब्रह्मास्त्र चला दिया है। पीएम मोदी राजनीति का एक ऐसा पासा खेल गए हैं कि कांग्रेस उलझती नजर आ रही है। कांग्रेस के बड़े दिवंगत गुर्जर नेता राजेश पायलट और सचिन पायलट को लेकर दिए गए बयान ने राजनीति के धनुष बाण का कमान खींच लिया है।

क्या कहा पीएम मोदी ने

पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का इतिहास सबको पता है। इस पार्टी के साथ कोई सच बोलता है तो मान लेना उस व्यक्ति की राजनीती गड्डे में गई। राजेश पायलेट ने एक बार कांग्रेस की भलाई के लिए चुनौती दी थी, वे बाद में झुक भी गये थे, लेकिन इसकी सजा राजेश पायलेट को मिली और अब उनके बेटे पर भी यह परिवार खुन्नस निकाल रहा है।

दरअसल चुनाव प्रचार में पीएम ने दिवंगत राजेश पायलेट का नाम उछालकर साल 1997 में सीताराम केसरी के अध्यक्ष बनने वाली घटना की याद दिला दी। उस वक्त राजेश पायलट ने नामांकन किया, हालांकि वे चुनाव हार गये। इसके साथ ही पीएम मोदी ने साल 2000 में हुए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनावों की याद दिलाई, जिसके बाद सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने पर जितेन्द्र प्रसाद मैदान में कूद पड़े थे। तब राजेश पायलट, प्रसाद के समथन में खड़े हो गये। यानी की बीजेपी नेता अब तक कांग्रेस में गुटबाजी की बात तो करते रहे हैं, लेकिन टाइमिंग को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी का यह बयान आया है।

कांग्रेस खेमे में मची खलबली

यह बयान कांग्रेस खेमे में इसलिए भी खलबली मचा रहा है क्योंकि राजस्थान में करीब 6 फीसदी गुर्जर हैं और 30 से 40 सीटों पर गुर्जरों का वोट निर्णायक होता है। पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 9 सीटों पर गुर्जरों को उतारा था, लेकिन सचिन पायलट के चलते एक भी सीट से बीजेपी अपने गुर्जर प्रत्याशी को जीतने में कामयाब नहीं हो पायी। वहीं कांग्रेस के 8 गुर्जर प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंच गए। यही कारण है कि जब पीएम ने गुर्जरों को साधने के लिए इस तरह का बयान दिया तो सीएम अशोक गहलोत अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में बदलाव करते हुए इस पर सफाई देने आ गए।

सीएम गहलोत ने किया पलटवार

गहलोत ने राजेश पायलेट का नाम प्रचार में घसीटे जाने की आलोचना करने के साथ ही गुर्जरों से जुड़े उस एक वाकए को भी उठा दिया जिसे बीजेपी की सबसे कमजोर रग कहा जाता है और बीजेपी नेता उस पर चुप्पी तक साध लेते हैं। सीएम अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री के बयान के बाद पलटवार किया और सफाई देते हुए कहा कि 72 गुर्जरों पर गोली चलाने वाली बीजेपी सरकार ही थी और अब उन्हें वोट के लिए भड़का भी रही है। इस पर खुद पायलट भी सफाई देते दिखे।

क्या कहा सचिन पायलट ने

सचिन पायलट ने कहा कि मेरे पिता वायु सेना में थे और जनसेवा के लिए कांग्रेस में आये। कांग्रेस में रहते हुए जनता की सेवा की। जीवन भर उन्होंने सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ राजनीति की। जहां तक मेरे भविष्य को लेकर कह रहे हैं तो मेरे वर्तमान और भविष्य के बारे में किसी को चिंता नहीं करनी चाहिए। जनता और कांग्रेस पार्टी मेरा ध्यान रखेगी। हम पार्टी के साथ दशकों से हैं और हमारा दिल का रिश्ता है। हम लोग पार्टी को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं। उनके इस बयान से समझ में आता है कि बीजेपी लगातार अलग-अलग राज्यों में हारती जा रही है। ऐसे में ध्यान भटकाने के लिए ऐसे बयान दिए जा रहे हैं. हमें इसकी फिक्र नहीं है। विकास और रिपोर्ट कार्ड पर बयान आने चाहिए।

क्या कहा अमित शाह ने

उधर, पीएम के बयान पर अशोक गहलोत की तरफ से आये बयान पर चुनाव प्रचार के आखिरी दिन जवाब देने की बारी बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की थी। अमित शाह ने तंज कसते हुए कहा कि जाति पर राजनीति तो कांग्रेस की फितरत है और यदि उन्हें पायलट की इतनी ही चिंता है तो दो अच्छे शब्द उनके लिए भी बोल कर दिखाएं।

गुर्जर वोट निर्णायक भूमिका में

दरअसल बात चाहे गुर्जर आन्दोलन की हो या उनसे जुड़े आरक्षण की राजस्थान चुनावों में हमेशा से ही इसे सभी सियासी पार्टियां साधने की कोशिश करती हैं। पिछली बार विधानसभा चुनावों में सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनेंगे ये उम्मीद लगाए गुर्जर वोट बैंक ने एकतरफा वोटिंग करते हुए कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाया, लेकिन पायलट सीएम नहीं बन सके। अपमान और आपसी खींचतान ने कांग्रेस को दो धड़ों में बांट दिया। पूर्वी राजस्थान और उससे लगते जिलों के साथ अजमेर तक के इलाके में गुर्जर वोट निर्णायक भूमिका में है। कांग्रेस सत्ता में वापस आकर इस बार रिवाज बदलने की बात कर रही है और बीजेपी राज बदलने की। ऐसे में पुरानी जिला प्रणाली की तस्वीर देखें तो कुल 33 जिलों में से करीब 14 जिलों पर गुर्जर वोट बैंक निर्णायक भूमिका में रहता है. 25 लोकसभा सीटों में से आधी लोकसभा सीटों पर भी उनका प्रभाव साफ दिखाई देता है।

चुनावी दंगल में किसका मंगल

साल 2018 के चुनावों में कांग्रेस के पाले में वोट करने वाला गुर्जर वोट बैंक सिर्फ इसलिए बीजेपी से खिसक गया, क्योंकि वे गुर्जर नेता राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनना देखना चाहते थे, लेकिन पिछले 5 सालों में ये हो न सका। गुर्जरों की नाराजगी, नारेबाजी, प्रदर्शनों की तस्वीरें मीडिया की सुर्खियों में रहीं। इसी नाराजगी को बीजेपी के समर्थन में तब्दील करने के लिए मोदी के प्रयास सामने आए। फिलहाल तो नाराज गुर्जर समाज को साधने की पीएम मोदी की ओर से बड़ी कोशिश की गई है। अशोक गहलोत का इस पर परेशान होना इसलिए भी लामी है,क्योंकि गहलोत भी जानते हैं कि पूर्वी राजस्थान और उससे लगे इलाकों में गुर्जरों की नाराजगी उनकी जीत की गारंटी को खतरे में ला सकती है। फिलहाल तो देखना होगा की जीत की उम्मीद, वादे और राजेश पायलट के नाम से खेला गया पैंतरा राजस्थान के चुनावी दंगल में किसका मंगल करेगा। ये तो आने वाले दिसम्बर की 03 तारीख तय करेगी।

ये भी पढ़ें-कोरोना के बाद चीन में एक और खतरनाक महामारी? मरीजों से भरे अस्पताल, तेजी से फैलता देख स्कूल बंद

HISTORY

Edited By

Shubham Singh

First published on: Nov 23, 2023 06:51 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें