चंडीगढ़: पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा द्वारा शनिवार को पंजाब विधानसभा में पंजाब विनियोजन (नंबर 3) बिल, 2023 पेश किया गया, जिसको विधानसभा द्वारा बहुमत के साथ पास कर दिया गया। इस दौरान वित्त मंत्री ने पंजाब बजट 2023-24 के बारे में विधानसभा में हुई चर्चा के लिए ज़्यादातर सदस्यों द्वारा किए गए समर्थन और विरोधी पक्ष द्वारा दिए गए सुझावों का स्वागत किया।
बजट संबंधी हुई बहस और सवालों के जवाब देते हुए वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व अधीन पंजाब सरकार द्वारा राजस्व में हुई वृद्धि के स्वरूप ही वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए शिक्षा, कृषि और अन्य अहम क्षेत्रों के बजट में रिकॉर्ड वृद्धि संभव हुई है।
वित्त मंत्री ने कहा कि नई आबकारी नीति के स्वरूप राजस्व में 45 इज़ाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि विरोधी पक्ष को इस नीति का विरोध करने की जगह राज्य के राजस्व में वृद्धि करने के लिए सरकार की तारीफ़ करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि केवल यही नहीं पंजाब सरकार ने कर-रहित राजस्व में 26 प्रतिशत, इसके अलावा पंजाब जी.एस.टी में 23 प्रतिशत, अष्टाम और रजिस्ट्रियों से राजस्व में 19 प्रतिशत और वाहन कर में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि राजस्व में हुई वृद्धि के कारण ही कृषि क्षेत्र के लिए 20 प्रतिशत, शिक्षा के लिए 12 प्रतिशत और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए बजट में अपेक्षित वृद्धि कर पाना संभव हुआ है।
पंजाब सरकार की ओर से लिए गए कर्ज संबंधी बात करते वित्त मंत्री ने कहा कि पंजाब सराकार की तरफ से साल 2007- 2012 दौरान 28592 करोड़ रुपए, 2012 से 2017 तक 99304 करोड़ रुपए और 2017 से 2022 तक 99505 करोड़ रुपए का कजऱ् लिया गया। पंजाब सराकार द्वारा साल 2007-2012 के दौरान 28,592 करोड़ रुपए, 2012 से 2017 तक 99,505 करोड़ रुपए का कजऱ् लिया गया।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व अधीन पंजाब सरकार कानून के अनुसार ही काम करती है और कजऱ् भी कानून के अंदर ही रह कर लिया गया। उन्होंने कहा कि इस सरकार द्वारा भी कजऱ् लिया गया परन्तु सरकार समयबद्ध ढंग से कजऱ्े की वापसी सुनिश्चित बना रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा 15,946 करोड़ रुपए की मूल अदायगी और 20,100 करोड़ रुपए की ब्याज अदायगी समेत कुल 36,046 करोड़ रुपए की कजऱ् अदायगी की गई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा पंजाब सराकर ने बीते एक साल में कंसोलीडेटिड फंड में 3000 करोड़ रुपए जमा करवाए, जबकि पहली सराकर द्वारा पाँच सालों में केवल 2900 करोड़ रुपए इस फंड में जमा करवाए गए थे।
अलग-अलग सरकारी एजेंसियों द्वारा बीते समय में लिए गए कजऱ्े से राहत दिलाने के लिए दी गई 2000 करोड़ रुपए की सहायता का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सरकारी एजेंसियों को बचाने के लिए पंजाब सहकारी कृषि विकास बैंक को 885 करोड़ रुपए, पनसप को 300 करोड़ रुपए, शूगरफैड को 400 करोड़ रुपए, जि़ला सहकारी बैंकों को 135 करोड़ रुपए, मिल्कफैड को 36 करोड़ रुपए, फाजि़ल्का शुगर मिल को 10 करोड़ रुपए की सहायता दी गई। उन्होंने कहा कि यदि पहली सरकारों द्वारा अदायगियां समय पर की गई होती तो इन रकमों में इतनी वृद्धि नहीं होती।
(Xanax)
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