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चंडीगढ़ को लेकर पंजाब-हरियाणा में फिर छिड़ी रार, जानें 300 गांवों से जुड़ा ये पूरा विवाद

Punjab-Haryana Dispute: चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की राजधानी है। यह केंद्र शासित प्रदेश है। एक बार फिर हरियाणा और पंजाब चंडीगढ़ को लेकर आमने-सामने आ गए हैं। ताजा मामला हरियाणा को विधानसभा के लिए चंडीगढ़ में जमीन देने के बाद शुरू हुआ है। विस्तार से पूरा विवाद जानते हैं।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Nov 16, 2024 16:10
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Rajiv Longowal Agreement: पंजाब और हरियाणा में एक बार फिर चंडीगढ़ को लेकर रार छिड़ गई है। चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश है, जो हरियाणा और पंजाब दोनों की राजधानी है। दोनों राज्य इस पर अपना हक जताते रहे हैं। ताजा विवाद हरियाणा को अलग विधानसभा बनाने के लिए चंडीगढ़ में जमीन देने के बाद शुरू हुआ है। दोनों प्रदेशों के नेता एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। जिसके कारण पंजाब और हरियाणा में सियासी पारा हाई है। हरियाणा पंजाब से 1 नवंबर 1966 को अलग हुआ था। जिसके बाद ही चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। उस समय कई मुद्दों पर समझौते हुए थे।

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विवाद सुलझाने को हुई थी शुरुआत

विभाजन के बाद पंजाब-हरियाणा में जमीन और राजधानी को लेकर विवाद शुरू हुआ था। जिसके बाद 1985 में पूर्व पीएम राजीव गांधी और अकाली नेता संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच समझौता हुआ था। इस समझौते को राजीव-लोंगोवाल समझौता कहा जाता है। समझौते के तहत पंजाब ने अबोहर और फाजिल्का जिले से लगते 300 गांव हरियाणा को देने की बात कही थी। ये गांव हिंदी भाषी थे। इसके अलावा चंडीगढ़ को पूर्ण रूप से पंजाब को सौंप देने की बात साफ हो गई थी।

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लेकिन बाद में 300 गांवों को हरियाणा में शामिल करने की शर्त को पूरा नहीं किया गया। जिसके कारण विवाद नहीं सुलझ पाया। समय-समय पर दोनों राज्यों के बीच अलग विधानसभा, हाई कोर्ट, राजधानी आदि मुद्दों को लेकर टकराव देखने को मिलता है। चंडीगढ़ पर दोनों राज्य अपना-अपना हक जताते रहे हैं। 24 जुलाई 1985 को लोंगोवाल और पूर्व पीएम के बीच कई मुद्दों पर हस्ताक्षर हुए थे। शाह कमीशन को विवाद सुलझाने का जिम्मा इससे पहले सौंपा गया था। जिसकी रिपोर्ट को राजीव-लोंगोवाल समझौते के तहत निरस्त कर दिया गया था। 300 गांव हरियाणा को सौंपे जाने को लेकर एक कमीशन भी बना था, जिसने अपनी रिपोर्ट 31 दिसंबर 1985 को सौंपी थी।

लोंगोवाल का हुआ था मर्डर

300 गांव सौंपने को 26 जनवरी 1986 की तारीख मुकर्रर भी हो गई थी। लेकिन 20 अगस्त 1985 को पटियाला में लोंगोवाल का मर्डर हो गया था। वे शेरपुरा गांव में थे, जो जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर है। इसके बाद तीसरा कमीशन विवाद सुलझाने के लिए बनाया गया था। जिसका गठन 3 अप्रैल 1986 को हुआ। इस कमीशन ने उसी साल 7 जून को अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी। कमीशन की रिपोर्ट में पंजाब की 70 हजार एकड़ जमीन हरियाणा को दिए जाने का जिक्र था। लेकिन केंद्र सरकार ने इस मामले को अनिश्चितकालीन समय के लिए टाल दिया था।

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Edited By

Parmod chaudhary

First published on: Nov 16, 2024 04:10 PM

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