26/11 Mumbai Attacks: 22 नवंबर 2008 को पाकिस्तान के कराची समुद्री तट पर 10 आतंकियों को दो-दो की पांच जोड़ियों में बांटा गया और उन्हें 10800 भारतीय रुपये और एक मोबाइल फोन दिया गया. इसके बाद एक छोटी नाव में बिठाकर सभी को रवाना कर दिया गया. इन आतंकियों ने मुंबई के कई इलाकों में हमला किया. इस हमले में 166 लोग मारे गए. आज भारत में हुए सबसे बड़े आतंकी हमले 26/11 मुंबई हमले की बरसी है. मुंबई हमले से जुड़ी वो 10 बातें, जो आपको जरुरी जाननी चाहिए.
हमला कहां कहां हुआ, कितने लोग मारे गए और घायल हुए
मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर रात 9:30 बजे, कसाब और उसका साथी इस्माइल सीएसएमटी में घुसे. उन्होंने प्लेटफॉर्म नंबर 13 पर एके-47 से गोलियां चलाईं. वहां लगभग 58 लोग मारे गए और 104 घायल हो गए. दूसरा हमला लियोपोल्ड कैफे पर आतंकी बाबर और नासिर, लियोपोल्ड इस कैफे में घुसे. उन्होंने दो ग्रेनेड फेंके और गोलियां चलाईं. इस हमले में 11 लोग मारे गए और कई घायल हो गए. तीसरा हमला नरीमन हाउस में हुआ. यहां आतंकी अशफाक और अबू सुहैल, नरीमन अंदर घुस गए और कई लोगों को बंधक बना लिया. चौथा हमला ताज होटल में हुआ. यहां अब्दुल रहमान और जावेद, पांचवीं मंजिल पर पहुंचे और गोलीबारी शुरू कर दी. उन्होंने आईएनजी वैश्य बैंक के चेयरमैन समेत कई लोगों को बंधक बना लिया. तब तक एनएसजी ने जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी थी. पांचवा हमला ओबेरॉय होटल में किया गया. यहां दो लोग, फहदुल्ला और अब्दुल रहमान घुसे थे. यहा से दो कर्मचारियों को छोड़कर सभी को निकाल लिया गया था. आतंकियों ने एके-47 से गोलियां चलानी शुरू कर दीं. इन आतंकियों को 28 नवंबर को एनएसजी ने मार गिराया. तब तक वे 35 जानें ले चुके थे.
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एक मात्र आतंकी कसाब को जिंदा पकड़ा गया, उसे फांसी कब हुई
सीएसटी में हमले के बाद कसाब और इस्माइल अपने अगले टारगेट, मालाबार हिल्स जाने के लिए टैक्सी नहीं मिली. पुलिस की गोलीबारी से बचने के लिए दोनों आतंकी कामा अस्पताल परिसर में घुस गए. उसके बाद उन्होंने एक पुलिस गाड़ी पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं. इसके बाद वे गाड़ी लेकर आगे बढ़ गए. रास्ते में उस गाड़ी का टायर पंक्चर हो गई, इसलिए उन्होंने बंदूक की नोक पर एक और कार हाईजैक कर लिया. इस दौरान पुलिस चेकपोस्ट को देखकर, इस्माइल ने गाड़ी को डिवाइडर के पार ले जाने की कोशिश की, लेकिन गाड़ी फंस गई. इसके बाद हुई गोलीबारी में इस्माइल मारा गया, लेकिन कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया। 26/11 हमले के दौरान जिंदा पकड़े गए एकमात्र आतंकी अजमल कसाब ने पूछताछ में बताया कि इस हमले की योजना पाकिस्तान में बनाई गई थी. 21 नवंबर 2012 को कसाब को फांसी दे दी गई.
मीडिया के लिए लाइव कवरेज बैन के लिए पहली बार एडवायजरी
मुंबई हमले के दौरान मीडिया के लिए लाइव कवरेज बैन के लिए पहली बार एडवायजरी जारी की गई थी. भारत सरकार के सूचना एवँ प्रसारण मंत्रालय ने एक सख्त चेतावनी जारी की थी. मंत्रालय ने सभी मीडिया चैनलों को साफ निर्देश दिए हैं कि वे किसी भी सैन्य अभियान या सुरक्षा बलों की गतिविधियों की लाइव कवरेज न करें. इस चेतावनी का मकसद देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और शत्रुओं को किसी भी तरह का फायदा न पहुंचने देना था. मंत्रालय ने साफ कहा कि रक्षा और सुरक्षा से जुड़े अभियानों की रिपोर्टिंग में मौजूदा कानूनों और नियमों का सख्ती से पालन करना होगा. मंत्रालय कह तरफ से रियल-टाइम कवरेज, विजुअल्स का प्रसारण या सूत्रों के हवाले से खबरें चलाना पूरी तरह बंद करना होगा.
कौन कौन जाबांज शहीद
इस हमले में 166 नागरिक मारे गए थे और 9 आतंकी ढेर किए गए थे. हमले में पुलिस और सुरक्षा बलों में 18 शहीद हुए थे. जिनमें हेमंत करकरे (ATS चीफ), अशोक काम्टे, विजय सालस्कर, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, तुकाराम ओम्बले समेत 18 लोग शहीद हुए थे. इनके अलावा CST में 58 मौतें हुई थी. जिनमें अमृत राव (रेलवे कर्मी), अशोक कपूर, कई यात्री जैसे सुशांत नंदी, आदि की मौत हुई थी. ताज होटल में 31 मौतें हुई थी. जिनमें करंबीर कंग (जनरल मैनेजर की पत्नी और बेटे), थॉमस वर्गीज (शेफ), विदेशी जैसे एंड्रियास लिवरास (ब्रिटिश), आदि. ओबेरॉय में 30 मौतें हुई थी. जिनमें लू सैन (जापानी), कई होटल स्टाफ थे. वहीं नरीमन हाउस में 6 मौतें हुई थी. जिनमें रब्बी गैवरियल होल्ट्जबर्ग, रिवका होल्ट्जबर्ग, आदि. कामा अस्पताल में 6 मौतें हुई थी. जिनमें सलीम (सुरक्षा गार्ड), राहुल शिंदे, नर्स जाधव, आदि. इस हमले में 26 विदेशी नगारिकों की भी मौत हुई थी. जिनमें अमेरिकी, ब्रिटिश, जापानी, इजरायली, आदि शामिल थे.
ताज होटल और ओबेरॉय होटल को नुकसान
ओबरॉय होटल समूह के अध्यक्ष पीआरएस ओबरॉय के अनुसार मुंबई पर आतंकी हमले में उनके होटल ओबरॉय एवं ट्राइडेंट को भारी नुकसान हुआ था. लेकिन उसका निश्चित आकलन सार्वजनिक नहीं किया गया है. उनके होटल के नए हिस्से ट्राइडेंट से कहीं ज्यादा क्षति पुराने हिस्से ओबरॉय में हुई थी. यही स्थिति ताज होटल की भी थी. जिसके 100 वर्ष से भी अधिक पुराने हिस्से में ज्यादा और नए हिस्से में कम क्षति हुई थी. आतंकवादियों ने अरब सागर तट पर गेटवे ऑफ इंडिया के ठीक सामने के इस होटल के पुराने हिस्से में आग भी लगा दी थी.
हमले के बाद तटीय सुरक्षा समेत भारत ने क्या क्या बदलाव किए
26/11 भारत के लिए एक दर्दनाक मोड़ था, लेकिन इसके बाद देश ने सुरक्षा के क्षेत्र में बड़ी प्रगति की है. चाहे समुद्री सुरक्षा हो, निगरानी हो या खुफिया जानकारी. अब चुनौती यह है कि सुरक्षा और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखा जाए, ताकि देश सुरक्षित भी रहे और लोगों की स्वतंत्रता भी सुरक्षित रहे. एक अहम फैसला यह था कि भारतीय नौसेना को समुद्री सुरक्षा की मुख्य ज़िम्मेदारी दी गई और वो है तटीय और अपतटीय यानी दोनों क्षेत्रों की. पहले नौसेना, कोस्ट गार्ड और राज्य की मरीन पुलिस सभी अलग-अलग ज़िम्मेदारियां संभालते थे, लेकिन अब नौसेना के नेतृत्व में ये सभी एजेंसियां मिलकर काम करती हैं. मुंबई, विशाखापत्तनम, कोच्चि और पोर्ट ब्लेयर में JOCs स्थापित किए गए. जहां नौसेना और कोस्ट गार्ड मिलकर समुद्री खतरे से निपटने के लिए काम करते हैं. यहां सेना, BSF, कस्टम्स और IB जैसी एजेंसियों से भी इनपुट लिए जाते हैं. नोसेना ने सागर प्रहरी बल (SPB) बनाया, जिसमें 80 तेज नावें (FICs) और 1,000 से अधिक जवान हैं. इनका काम तटों की निगरानी करना और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत प्रतिक्रिया देना है. 26/11 के बाद भारत ने तटीय रडार चेन बनाई. जिससे समुद्र में चल रही हर गतिविधि की लगातार निगरानी की जा सके. इसके साथ ही ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) लागू किया गया. जिससे नावों और जहाजों की पहचान और ट्रैकिंग आसान हो गई.
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