Malegaon blast case verdict: मालेगांव ब्लास्ट केस मामले में 17 साल बाद आज एनआईए कोर्ट ने फैसला सुना दिया। कोर्ट ने मामले में सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। फैसला सुनाते हुए एनआईए कोर्ट के जज लाहोटी ने कहा कि आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी के घर आरडीएक्स के अंश मिले थे। जज ने कहा कि कुछ आरोपों को माना गया है जबकि कुछ आरोप माने गए। बम को बाइक से बाहर प्लांट किया गया था। किसने बाइक को पार्क किया इसके सबूत नहीं है। इसके साथ ही ये भी साबित नहीं हो पाया कि बाइक साध्वी प्रज्ञा के नाम पर थी। जज लाहोटी ने कहा कि साजिश का कोई एंगल साबित नहीं हुआ।
इसके अलावा कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित के आरडीएक्स लाने का भी कोई सबूत नहीं मिला। वहीं साजिश के लिए सभी आरोपियों के बीच बैठक हुई हो इसके भी कोई सबूत नहीं मिले हैं। फैसला पढ़ते समय कोर्ट ने बड़ी बात कही। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों पर यूएपीए के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती। न ही इस मामले में अभिनव भारत नामक संगठन के पैसे का इस्तेमाल किया गया। सुनवाई के दौरान जज ने कई कमियां भी गिनाईं। कोर्ट ने कहा कि ब्लास्ट के बाद जांच एजेंसियों ने फिंगर प्रिंट नहीं लिए।

आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है- कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि पंचनामा ठीक से नहीं किया गया। बाइक का चेसिस नंबर भी रिकवर नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि घायल लोगों की संख्या 101 नहीं, बल्कि 95 थी। कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट की हेराफेरी भी हुई। एनआईए कोर्ट ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है। कोई भी धर्म हिंसा की वकालत नहीं कर सकता है। आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। जज लाहोटी ने कहा कि केवल धारणा और नैतिक सबूतों के आधार पर दोषी नहीं ठहराए जा सकते हैं। इसके लिए ठोस सबूत होने चाहिए।
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