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मुंबई

आंखों की रोशनी नहीं… परिवार ने कूड़ेदान में फेंका, नहीं मानी हार… क्रैक की सिविल सेवा परीक्षा

किसी की किस्मत में क्या लिखा है, इसके बारे में कोई नहीं बता सकता। इसका एक बेहतर उदाहरण माला पापलकर हैं। उनके परिवार ने बचपन में उनको रेलवे स्टेशन के कूड़ेदान में छोड़ दिया था, लेकिन उनको किसी ने नई जिंदगी दी।

Author Edited By : Shabnaz Updated: Apr 22, 2025 13:09
Maharashtra News

महाराष्ट्र के अमरावती में 25 साल पहले एक बच्ची को कूड़ेदान में फेंक दिया गया था। कूड़ेदान से बचाई गई दृष्टिबाधित माला पापलकर को इसके बाद दूसरी जिंदगी मिली। भले ही वह देख न सकती हों, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। 25 साल बाद अब माला पापलकर ने MPSC (महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग) परीक्षा पास कर ली है। इसी के साथ वह नागपुर कलेक्ट्रेट में राजस्व सहायक के रूप में अपना करियर शुरू करने जा रही हैं। पिछले हफ्ते MPSC के रिजल्ट का ऐलान किया गया, जिसमें माला पापलकर का नाम भी शामिल था। जानिए उनका सफर कैसा रहा।

निभाएंगी बड़ी जिम्मेदारी

पिछले हफ्ते महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (MPSC) ने संयुक्त समूह सी परीक्षा के अंतिम परिणाम घोषित किए। इस लिस्ट में अमरावती की माला पापलकर का नाम भी शामिल था। 18 अप्रैल को जब उनके पास होने का ईमेल आया, तब साबित हो गया कि दृष्टिहीन व्यक्ति के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है। दरअसल, माला 2023 में परीक्षा में शामिल हुई, जिसका परिणाम 22 महीने बाद घोषित किया गया। नियुक्ति पत्र मिलने के बाद माला अब नागपुर के कलेक्टर कार्यालय में राजस्व सहायक के रूप में अपनी सेवा देंगी।

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बाबा ने बनाया कामयाब- माला

माला ने अपनी सफलता का श्रेय शंकर बाबा पापलकर को दिया। उन्होंने कहा कि जब मैं बाबा के पास आई, तब बहुत छोटी थी। उन्होंने मुझे पढ़ाया और इस काबिल बनाया। मेरे अलावा, उन्होंने और भी बहुत से बच्चों की जिंदगी बनाई है। माला आगे कहती हैं कि ‘मुझे नहीं पता कि मेरे माता-पिता कहां हैं, लेकिन बाबा ने मुझे अपना नाम देकर माता-पिता का सहारा दिया है।’ माला ने कहा कि उनको नहीं लगता था कि वह इस परीक्षा को पास कर पाएंगी, लेकिन बाबा अक्सर कहते थे कि तुम कर सकती हो। माला ने बताया कि वह दिन में 6 से 7 घंटे तक पढ़ाई करती थीं।

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Mala Papalkar

देख नहीं सकतीं हैं माला पापलकर

करीब 25 साल पहले माला को जलगांव रेलवे स्टेशन के कूड़ेदान में छोड़ दिया गया था। जहां से उन्हें रिमांड होम में रखा गया। यहीं से अमरावती के पद्मश्री पुरस्कार विजेता और सामाजिक कार्यकर्ता शंकर बाबा पापलकर की देखभाल में भेजा गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब माला आश्रम में आई थीं, तब उनकी उम्र 10 साल थी। इस दौरान माला की आंखों की रोशनी केवल 5 फीसदी ही थी। साथ ही वह शारीरिक रूप से कमजोर थीं।

कहां से हुई माला की पढ़ाई?

माला पापलकर ने स्वामी विवेकानंद ब्लाइंड स्कूल से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने विदर्भ महाविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान उनका फीस का खर्च प्रकाश टोप्ले पाटिल नाम के एक शख्स ने उठाया। माला को 10वीं क्लास में 60 फीसदी और कॉलेज में 65 फीसदी नंबर मिले थे। माला ने 2019 में एकेडमी में दाखिला लिया, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराती है। महामारी के दौरान उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई करनी पड़ी।

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Shabnaz

First published on: Apr 22, 2025 01:09 PM

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